अररिया: बिहार की लोकसभा औैर विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की मतगणना में अररिया लोकसभा सीट और जहानाबाद विधानसभा सीट राजद की झोली में गयी है, जबकि भभुआ से भाजपा उम्मीदवार ने जीत हासिल की है. अररिया से राजद प्रत्याशी सरफराज आलम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी प्रदीप सिंह को 61,788 मतों से पराजित किया.
सरफराजआलम को 509334 मत प्राप्त हुए.जबकि प्रदीप सिंह ने 44,7546 मतमिले. उधर, जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जदयू उम्मीदवार अभिराम शर्मा को 35,333 मतों से हराया.सुदय यादव को 76,598 मत प्राप्त हुए. वहींअभिराम शर्मा को 41,265 मत हासिल हुए जबकि भाकपा माले उम्मीदवार कुंती देवी 8498 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं.
भभुआ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रिंकी रानी पांडेय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवर शंभू पटेल को 14,866 मतों से परास्त किया. रिंकी पांडेय को 64,413 मत प्राप्त हुए. वहीं पटेल को 49547 मत मिले, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार धर्मेंद्र सिंह 3690 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे. अररिया से सात उम्मीदवार, जहानाबाद से 14 उम्मीदवार तथा भभुआ से 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे.
चुनाव से ठीक पहले राजद में शामिल हुए थे सरफराज
बिहार की अररिया सीट पर ‘सीमांचल के गांधी’ कहे जाने वाले राजद के कद्दवार नेता तस्लीमुद्दीन के निधन के बादसे खाली हुई इस सीट को उनके ही बेटे सरफराज आलम ने जीत लिया है. चुनाव से ठीक पहले उन्होंने नीतीशकुमार का दामन छोड़उन्होंने राजद का हाथ थामा था और राजद से सांसद के लिये उम्मीदवारी का पर्चा दाखिल किया. अररिया के रहने वाले सरफराज आलम अब राजद के नेता हैं. उन्होंने उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप सिंह से निर्णायक बढ़त ली है और शुरूआती के कुछ राउंड के बाद से उसे बरकरार रखा.
इस कारण से सुर्खियों में आये थे सरफराज
पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और राजद के बड़े चेहरे मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम उस वक्त सुर्खियों में आये थे जब उनका नाम राजधानी एक्सप्रेस मेें बदतमीजी और छेड़खानी से जुड़े एक मामले में जुड़ा था. वो अरारिया जिले के जोकिहट से विधानसभा कई बार चुने गये हैं. उस समय उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता भी दिखा दिया था. 2000 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर सरफराज पहली बार विधानसभा के लिए चुने गये. सरफराज अब तक बिहार विधानसभा के लिए तीन बार चुने गये हैं.
अररिया में नीतीश व सुमो ने की थी सभाएं
भाजपा ने अररिया सीट जीतने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगाया था. खुद सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने एक ही दिन में वहां तीन सभाएं की थीं और वोट मांगा था. लेकिन, तस्लीमुद्दीन और राजद के गढ़ में इन सभाओं का कोई असर नहीं दिखा और सरफराज आलम अपनी पिता की सीट बचाने में कामयाब रहे. लालू की गैरमौजूदगी में भी इस जीत ने एक बार फिर से बिहार के सीमांचल इलाके में राजद के प्रभुत्व को भी कायम रखा है.