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पत्थलगड़ी की आड़ में संविधान से खिलवाड़ का होगा विरोध

ग्राम प्रधान और आदिवासी समाज के लोगों ने कहा खूंटी : पत्थलगड़ी के मौजूदा स्वरूप और उसकी आड़ में संविधान की गलत व्याख्या किये जाने के खिलाफ आवाज मुखर होने लगी है. सोमवार को खूंटी के नगर भवन में आयोजित परिचर्चा में खूंटी प्रखंड के कई ग्राम प्रधान समेत आदिवासी समाज के लोगों ने इसे […]

ग्राम प्रधान और आदिवासी समाज के लोगों ने कहा
खूंटी : पत्थलगड़ी के मौजूदा स्वरूप और उसकी आड़ में संविधान की गलत व्याख्या किये जाने के खिलाफ आवाज मुखर होने लगी है. सोमवार को खूंटी के नगर भवन में आयोजित परिचर्चा में खूंटी प्रखंड के कई ग्राम प्रधान समेत आदिवासी समाज के लोगों ने इसे असंवैधानिक और विकास विरोधी बताया.
उन्होंने आदिवासी महासभा को इस मुद्दे पर बहस के लिए खुली चुनौती भी दी. जिला प्रशासन की ओर से आयोजित नये तरीके से पत्थलगड़ी व संविधान की गलत व्याख्या विषय पर आयोजित परिचर्चा में सबने इसका विरोध किया.
उन्होंने कहा कि परंपरागत पत्थलगड़ी का कोई विरोध नहीं है. वहीं कथित ग्रामसभा द्वारा जारी फरमान जिसमें बच्चों को स्कूल नहीं भेजने, सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेने, खुद की करंसी (नोट) चलाने और हर ग्रामीण को 20 लाख रुपये देने की बातों का विरोध करने का निर्णय लिया गया. परिचर्चा में उपप्रमुख जितेंद्र कश्यप, टकरा के ग्राम प्रधान जोन कच्छप ने भी अपनी बातें रखी.
आदिवासी महासभा को खुली चुनौती : परिचर्चा में खूंटी डीसी सूरज कुमार ने आदिवासी महासभा के लोगों को खुली चुनौती दी. उन्होंने कहा कि वीर हैं, तो आकर अपनी बातें रखें. संविधान पढ़ कर आयें और बहस करें. पत्थलगड़ी की बात सही होने पर जिला प्रशासन आपके साथ मिल कर पत्थलगड़ी करेगा.
उन्होंने कहा कि भारत में जन्म लेनेवाले सभी भारत के नागरिक हैं. ऐसे में दिकु शब्द कहां से आया. कहा कि अगर भारत ब्रिटिश काउंसिल से संचालित होता है, तो उससे संबंधित आदेश दिखायें. पत्थलगड़ी करनेवाले 13, 3(क) बताते हैं, लेकिन 13 को तो बताते ही नहीं है़ं बताने पर पोल खुल जायेगी. डीसी ने कहा कि कोई भी रूढवादी प्रथा किसी का मौलिक अधिकार नहीं छीन सकती है़. कार्यपालिका की शक्तियां पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में विस्तारित है.
ग्रामसभा करेंसी छापेगी, संभव नहीं : ग्राम सभा की ओर से करेंसी छापने के मुद्दे पर डीसी सूरज ने कहा कि ऐसा संभव नहीं हो सकता. नोट छापने में कितना खर्च आता है, यह किसी को पता भी है क्या़ पत्थलगड़ी करनेवाले लोग आदिवासियों को आदि काल में भेज देंगे़ उन्होंने बताया कि पत्थलगड़ी करनेवाले लोग भोले-भाले लोगों को आगे कर देते हैं. सभा में नहीं जाने पर 500 रुपये जुर्माना लिया जाता है़
उन्होंने कहा कि डीसी हो या एसपी, सभी राज्यपाल की अधिसूचना के आधार पर ही काम करते हैं. डीसी को अधिसूचना के आधार पर नियुक्त किया जाता है, जिसके नीचे राज्यपाल का हस्ताक्षर होता है़ डीसी ने बताया कि 17 मार्च को सभी ग्राम प्रधान को बुलाया जायेगा. उन्होंने पत्थलगड़ी करनेवालों को खुले तौर पर चुनौती देते हुए इसमें बहस के लिए आने को कहा.
संविधान की पूरी जानकारी नहीं देता आदिवासी महासभा : दामू मुंडा
आदिवासी महासभा से जुड़े दामू मुंडा ने कहा कि आदिवासी महासभा द्वारा संविधान की पूरी जानकारी नहीं दी जाती है. प्रारंभ में पांचवीं अनुसूची की बातें कही जाती थी. कहा गया कि राज्यपाल की अधिसूचना के बिना कोई भी कानून पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में लागू नहीं होता है़
पांचवीं अनुसूची में आगे क्या है, उसे आदिवासी महासभा नहीं देखना चाहती है. राज्यपाल टीएसी के परामर्श से अधिसूचना जारी करते हैं. इस बिंदु पर आदिवासी महासभा बात नहीं करती है़ प्रिवी काउंसिल की बात की जाती है़ वह क्या है, इसे नहीं बताया जाता है़ जो बातें कही जा रही है, वह किसी के लिए भी न्यायपूर्ण व नीति संगत नहीं है़
बाहरी लोगों का गांव में प्रवेश करने नहीं देना गलत : भीम सिंह
पूर्व जिला परिषद सदस्य भीम सिंह मुंडा ने कहा कि पत्थलगड़ी में अंकित धारा गलत नहीं है, पर गैर रूढ़ि (बाहरी व्यक्तियों) को गांव में प्रवेश से वर्जित करना गलत है.
ग्रामसभा कर पत्थलगड़ी की आग फैलाने की कोशिश : सुशील
बिरहू के मुखिया सह ग्राम प्रधान सुशील संगा ने बताया कि उनके गांव में भी ग्रामसभा कर पत्थलगड़ी की आग फैलाने की कोशिश की गयी. बिना उनकी जानकारी के ही गांव में ग्रामसभा बुलायी गयी थी. इसमें अचानक तीन-चार गांवों के लोग पहुंच गये थे़
टकराव की स्थिति : मंगल सिंह
कुरूंगा गांव के मंगल सिंह मुंडा ने कहा कि टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है़ बात करने पर ही सही रास्ता निकलेेगा़
ग्रामसभा नोट जारी करेगा, तो कहां-कहां होगी मान्यता : बिनसाय मुंडा
जिउरी के ग्राम प्रधान बिनसाय मुंडा ने कहा कि नये तरीके से पत्थलगड़ी कर बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की बात कही जा रही है. हम इसका विरोध करेंगे़ उन्होंने कहा कि पत्थलगड़ी वाले गांवों में खुद की करेंसी जारी करने की बात कही जा रही है़
इसकी मान्यता कहां-कहां होगी. उन्होंने कहा कि पत्थलगड़ी अगर कानून रूप से सही है, तो वे अपने गांव में पत्थलगड़ी करने को तैयार हैं, अगर गलत है तो विरोध किया जायेगा़
पत्थलगड़ी की आड़ में अफीम की खेती की जा रही है : एसपी
एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने कहा कि जिले में पत्थलगड़ी कर संविधान को विकृत रूप से पारिभाषित किया जा रहा है़ इसके संरक्षण में अफीम की खेती की जा रही है़ इसे लोगों के सहयोग से समाप्त किया जायेगा. एसडीओ प्रणव कुमार पाल ने कहा कि एक साल पहले पत्थलगड़ी शुरू की गयी थी. धीरे-धीरे इसके स्वरूप को बदला जा रहा है. लोगों के मानसिक स्थिति को बदलने की साजिश की जा रही है.
आज चाईबासा में जुटेंगे जिले भर के मानकी मुंडा
बंदगांव : पत्थलगड़ी के अधिकार समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए प सिंहभूम के मानकी-मुंडा मंगलवार को चाईबासा में सभा करेंगे. यह घोषणा बंदगांव के बाजारटांड़ में सोमवार को हुई प्रखंडस्तरीय आमसभा में की गयी. सभा में खूंटी के पत्थलगड़ी समिति के अधिकारी व अन्य लोग भी शामिल थे. संघ के अंचल अध्यक्ष जोहन चापिया की अध्यक्षता में आमसभा हुई. इसमें पत्थलगड़ी की परंपरा तथा मानकी-मुंडाओं के अन्य अधिकारों पर विचार-विमर्श किया गया.
इस मौके पर निर्णय लिया गया कि मंगलवार को चाईबासा में जिले भर के मानकी-मुंडाओं की बैठक में उक्त विषयों पर चर्चा होगी. साथ ही राज्यपाल को मांग पत्र सौंपने का निर्णय भी लिया गया, ताकि खूंटकट्टी सह हाकुक-नमा अधिकार राजस्व मौजा में परंपरागत पत्थलगड़ी में किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंचे.
बैठक में मुख्य रूप से बंदगांव मानकी-मुंडा संघ सह अंचल समिति के महता पुरती, रंजीत बोदरा, मुंडा जगदीश बोदरा, बुधवा मुंडा, लेम्सा पुरती, मुंडा जुनाल डाहंगा, मरसलन पुरती समेत खूंटी जिले के पत्थलगड़ी समिति के अधिकारी व बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.
इनसेट
इन विषयों पर किया विचार-विमर्श
– पश्चिमी सिंहभूम जिले के पोड़ाहाट कोल्हान स्टेट मुंडारी खूंटकट्टी, सह हाकुक-नमा अधिकार राजस्व मौजा में परंपरागत पत्थलगड़ी के अलावा, अन्य अधिकार की पत्थलगड़ी करना परंपरा की पत्थलगड़ी से संगत हो सकता है या नहीं.
– भारत के संविधान के भाग 3 में मूल अधिकार अनुच्छेद 13 (3) (क) के रूढ़ि या प्रथा एवं पांचवीं अनुसूची 244 (1) के आधार में पत्थलगड़ी कर विकास कार्य में बाधा पहुंचाना न्याय संगत है या नहीं.
– भूमि अधग्रिहण अधिनियम आदिवासियों के लिए हितकारी है या नहीं.

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