हरीश तिवारी @ लखनऊ
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है1 इस फैसले के तहत अब दांपत्य सूत्र में बंधने जा रहे जोड़ों को फेरे लेने से पहले अपना आधार नंबर देना होगा. आधार नंबर देने के बाद ही मांगलिक कार्य शुरू किये जायेंगे. साथ ही जोड़ों को आयु प्रमाणपत्र और दो फोटो भी देना होगा. वहीं, शादी के तुरंत बाद इनका मैरिज रजिस्ट्रेशन भी कराया जायेगा.
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले साल गरीब परिवार की लड़कियों के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का ऐलान किया था. इस योजना के तहत शादी करनेवालों को सीएम की तरफ से उपहार दिये जाते हैं. इसके मुताबिक लाभार्थियों को 20 हजार रुपये और एक स्मार्ट फोन भी दिया जाता है. साथ ही वधू को पायल और बिछिया दिये जाते हैं. विवाह में शामिल होनेवाले गणमान्य लोग चाहें तो सामान्य उपहार भी भेंट कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें पहले विवाह समिति को सूचना देनी होती है. इन आयोजनों के लिए जिलाधिकारी की तरफ से एक समिति बनायी जाती है. इसके अलावा समिति टेंट, विवाह संस्कार और पीने के पानी जैसी व्यवस्था भी कराती है.
लेकिन, पिछले कुछ महीनों के दौरान इस योजना में फर्जीवाड़े की खबरे आ रही हैं. इनमें पहले से ही शादीशुदा जोड़े को फिर से इस योजना में शामिल कराकर अफसरों ने खानापूर्ति की. लिहाजा इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने नये नियम बनाकर जोड़ो के लिए आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है. साथ ही आयु प्रमाण पत्र की जरूरी किया गया है. विवाह के समारोह स्थल पर नवविवाहित जोड़ों का शादी का रजिस्ट्रेशन भी किया जायेगा. इस सामूहिक विवाह में सीएम के अलावा सांसद, प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री, विधायक व समाज के अन्य प्रतिष्ठित लोग शिरकत करेंगे. ऐसे में कहीं कोई गड़बड़ी या फर्जीवाड़ा होने पर सरकार की किरकिरी न हो, इसके लिए विशेष एहतियात बरते जा रहे हैं. आदेश मिलने के बाद अधिकारियों ने व्यवस्था में जुड़े कर्मचारी और प्रभारियों को जल्द से जल्द इसकी सूचना लाभार्थियों और उनके परिवारों तक पहुंचाने के निर्देश दिये.