14.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराये जाने पर सोशल मीडिया में ‘Ideological war’

त्रिपुरा में 25 साल पुरानी सरकार चुनाव में हार गयी है और वहां कम्युनिस्ट पार्टी की जगह स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बन रही है. मुख्यमंत्री के लिए बिप्लव देब का नाम सामने आया है, हालांकि सहयोगी दल आईपीएफटी किसी आदिवासी को सीएम बनाने की मांग कर रहा है. इसी बीच एक चौंकाने […]


त्रिपुरा में 25 साल पुरानी सरकार चुनाव में हार गयी है और वहां कम्युनिस्ट पार्टी की जगह स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बन रही है. मुख्यमंत्री के लिए बिप्लव देब का नाम सामने आया है, हालांकि सहयोगी दल आईपीएफटी किसी आदिवासी को सीएम बनाने की मांग कर रहा है. इसी बीच एक चौंकाने वाली घटना हुई है. कल दोपहर 3.30 बजे भाजपा समर्थकों ने साउथ त्रिपुरा डिस्ट्रिक्ट के बेलोनिया सबडिविज़न में बुलडोज़र की मदद से रूसी क्रांति के नायक ब्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को ध्‍वस्त कर दिया. साम्यवादी विचारधारा के नायक लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने के बाद से वामपंथी दल और उनके कार्यकर्ताओं में रोष है और सोशल मीडिया में इसे लेकर तीव्र प्रतिक्रिया आ रही है. वहीं कई कवियों ने तो इसे घृणित कृत्य बताते हुए अपनी कलम चलायी है.


महिला अधिकारों की पैरोकार और कम्युनिस्ट नेता कविता कृष्णन ने लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने पर तीव्र प्रतिक्रिया जताते हुए ट्‌वीट किया है. उन्होंने लिखा है- आप लेनिन की प्रतिमा तोड़ सकते हैं, लेकिन क्या आप शहीद-ए-आजम भगत सिंह और उनके साथियों के दिल और दिमाग से लेनिन को मिटा सकते हैं. उन्होंने हमारे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया था. आरएसएस उन शहीदों का मजाक उड़ाता है, लेकिन उन्हें मिटा नहीं सकता.

सीपीएम के अॅाफिशियल एकाउंट से ट्‌वीट किया गया है -आप हमारी मूर्तियों को तोड़ सकते हैं, लेकिन हमारे जुनून को नहीं.
वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने इस मुद्दे पर एक लेख वाशिंगटन पोस्ट में लिखा है, उन्होंने अपने लेख के लिंक के साथ ट्‌वीट किया है- त्रिपुरा में भाजपा समर्थकों ने लेनिन की प्रतिमा गिरा दी. भाजपा की जीत के बाद किस तरह एक छोटा सा राज्य भारत में सांस्कृतिक युद्ध का प्रतीक बन गया, इसपर बरखा ने अपना लेख लिखा है.
ऋषि बागड़ी ने ट्‌वीट किया है- जो लोग लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने पर आहत हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि विश्व में किसी भी अन्य विचारधारा के बनिस्पत कम्युनिज्म के कारण ही सबसे ज्यादा लोग मारे गये हैं.
राजनीतिक चिंतक के रूप में पहचान बना रहे रिसर्चर बालेंदुशेखर मंगलमूर्ति ने फेसबुक पर इस मामले को लेकर ‘Ideological war’ शीर्षक से पूरी कविता लिखी है और बताया है कि किस एक विचारधारा दूसरे को ध्वस्त करने में जुड़ी है और वर्चस्व की लड़ाई हो रही है.

पत्रकार अखिलेश्वर पांडेय ने ‘तोड़ो मूर्ति तोड़ो’ शीर्षक से एक कविता फेसबुक पर लिखी है और अपनी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें