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शरद यादव की अयोग्यता बरकरार रहने पर वापस करना पड़ सकता है वेतन : हाई कोर्ट

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्यता बरकरार रखे जाने की स्थिति में उन्हें याचिका लंबित रहने के दौरान प्राप्त वेतन वापस करना पड़ सकता है. न्यायालय ने कहा कि राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराये जाने को […]

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्यता बरकरार रखे जाने की स्थिति में उन्हें याचिका लंबित रहने के दौरान प्राप्त वेतन वापस करना पड़ सकता है. न्यायालय ने कहा कि राज्यसभा सदस्य के रूप में अयोग्य ठहराये जाने को चुनौती देने वाली शरद की याचिका के लंबित रहने के दौरान उनके द्वारा लिये गये वेतन को उन्हें उनकी याचिका खारिज होने की स्थिति में वापस करना पड़ सकता है.

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने ऊपरी सदन में जदयू के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. याचिकाकर्ता ने अदालत के उस आदेश में संशोधन का आग्रह किया था, जिसमें शरद यादव को एक सांसद के रूप में मिलने वाले वेतन, भत्तों और बंगले के उपयोग की अनुमति दी गयी थी. न्यायालय ने हालांकि कोई आदेश पारित नहीं किया और मामले को सुनवाई के लिए 21 मार्च को सूचीबद्ध किया. जिसमें यह निर्णय लिया जायेगा कि क्या यादव की याचिका की सुनवाई एकल पीठ करेंगी या एक खंडपीठ करेंगी.

जदयू नेता रामचंद्रप्रसाद सिंह ने अपनी याचिका में आग्रह किया है कि शरद यादव की याचिका की सुनवाई उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा की जाये. इस बीच राज्यसभा सभापति की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने कहा कि सुनवाई की अगली तिथि से पहले एक हलफनामा के जरिये उनके मुवक्किलों का रूख रखा जायेगा. वकीलों गोपाल सिंह और शिवम सिंह के माध्यम से दायर अपनी याचिका में रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि चूंकि सांसदों को भत्तों का भुगतान सदन की कार्यवाही में उनकी भागीदारी के आधार पर होता है, इसलिए यादव इस तरह के लाभ के हकदार नहीं थे क्योंकि उन्हें संसद या उसकी समितियों में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गयी है.

उच्च न्यायालय ने पिछले साल 15 दिसंबर को यादव को अयोग्य ठहराये जाने पर अंतरिम रोक लगाने से इन्कार कर दिया था. हालांकि, अदालत ने कहा था कि शरद यादव को वेतन, भत्ते और बंगले की सुविधा मिलती रहेगी. यादव ने वकील निजाम पाशा के जरिये दायर अपनी याचिका में चार दिसंबर, 2017 को उन्हें अयोग्य ठहराये जाने के आदेश को चुनौती दी थी.

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