नयी दिल्ली : चीन और नेपाल के साथ आपसी संबंध सुधारने को लेकर दलाईलामा से दूरी बनाये रखने के मामले में भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह पड़ोसी देश चीन को खुश करने के लिए दलाई लामा को दूर नहीं कर सकता. दलाई लामा देश के किसी भी कोने में धार्मिक आयोजन के लिए आजाद हैं. केंद्र ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर यह जवाब दिया है, जिसमें यह कहा गया है कि सरकार ने अधिकारियों को बौद्ध धर्मगुरु के भारत में निर्वासन के 60 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रमों से दूर रहने को कहा है.
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कथित निर्देश को लेकर कहा गया था कि भारत पेइचिंग के साथ अपने संबंध खराब नहीं करना चाहता है, जो दलाई लामा को एक ‘खतरनाक अलगाववादी’ और तिब्बत को चीन का हिस्सा मानता है. सरकार ने ऐसे किसी निर्देश का खंडन विशेष तौर पर नहीं किया. भारत ने सिर्फ इतना कहा कि दलाई लामा को लेकर सरकार के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है.
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि आदरणीय दलाई लामा को लेकर सरकार का पक्ष साफ और स्थायी है. वह श्रद्धेय आध्यात्मिक गुरु हैं और भारत के लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं. इस स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत में धार्मिक गतिविधियों को लेकर उन्हें पूरी स्वतंत्रता है.
दलाई लामा के भारत में निर्वासन को 60 साल पूरे होने जा रहे हैं और इसके उपलक्ष्य में कई कार्यक्रम होने हैं. तिब्बत स्वतंत्रता आंदोलन पर चीन के प्रहार के बाद दलाई लामा 1959 में भारत आ गये थे.