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झारखंड : गुमला के खटगांव में सन्नाटा, ढाई महीने से भागे-भागे फिर रहे ग्रामीण
रांची/गुमला : कभी एकता की मिसाल कहा जानेवाला गुमला जिले के पालकोट थाना क्षेत्र का गांव खटगांव पर जैसे किसी की नजर लग गयी है. एक समय गांव में खुशहाली थी. आज वीरानी छायी है. दो घटनाओं ने गांव पर ग्रहण लगा दिया है. स्थिति यह है कि पिछले ढाई माह से गांव में सिर्फ […]
रांची/गुमला : कभी एकता की मिसाल कहा जानेवाला गुमला जिले के पालकोट थाना क्षेत्र का गांव खटगांव पर जैसे किसी की नजर लग गयी है. एक समय गांव में खुशहाली थी.
आज वीरानी छायी है. दो घटनाओं ने गांव पर ग्रहण लगा दिया है. स्थिति यह है कि पिछले ढाई माह से गांव में सिर्फ बुजुर्ग और बच्चे ही हैं. लोग पुलिस के डर से छिपते फिर रहे हैं. पांच-छह परिवार के बच्चे गांव लौटे हैं. लेकिन माता-पिता व बड़े लोग गांव में नहीं घुस रहे हैं. सभी कहां छिपे हैं, इसका भी पता नहीं चल रहा है. गांव में बच्चे हैं, तो वे किसी प्रकार खा-पी रहे हैं. वे स्कूल भी नहीं जा रहे हैं. हालांकि गांव में केवट परिवार के कुछ लोग हैं.
ये लोग मृतकों के रिश्तेदार हैं. इस वजह से गांव में रह रहे हैं. इस मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक नियल तिर्की ने डीजीपी डीके पांडेय से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा है. कहा है कि पुलिस के कारण गांव वाले भागे फिर रहे हैं. उनके सामान को चोर ले जा रहे हैं. मामले में दोषी को छोड़ा नहीं जाये. लेकिन कुछ नाबालिग बच्चों और बुजुर्गों का नाम प्राथमिकी में है, जो निर्दोष हैं. उन्हें दंडित नहीं किया जाये.
क्यों है गांव की ऐसी स्थिति : 25 दिसंबर 2017 को खटगांव के नंदलाल केरकेट्टा ने थाना से भागकर आत्महत्या कर ली. मामला बढ़ा, तो गांव में तनाव का रूप ले लिया. इसके बाद प्रतिशोध में गांव के लोगों ने 17 दिसंबर 2017 को एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी.
पुलिस पर भी हमला किया. पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की, तो पूरा गांव इसमें फंस गया. प्राथमिकी के बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए छापामारी शुरू की. इसके बाद डर से पूरा गांव खाली हो गया.
प्रतिशोध में घटना को दिया अंजाम
तपकारा खटगांव में 17 दिसंबर रविवार की सुबह 10 बजे पारंपरिक हथियारों से लैस ग्रामीणों ने टहलू राम केवट (50), पत्नी लखपति देवी (45 वर्ष) व बेटी रूनी कुमारी (18) की हत्या कर दी थी. जबकि ग्रामीणों के हमले में मृतक टहलू की बेटी रजनी कुमारी व फुलमनी कुमारी घायल हो गये थे.
पुलिस गांव पहुंची. स्थिति तनावपूर्ण देख पुलिस गांव में कैंप कर रही थी. हत्या के सिलसिले में कुछ लोगों को पुलिस पकड़ कर थाना ला रही थी. तभी खटगांव के ग्रामीणों ने 50 से अधिक पुलिस जवानों पर हमला कर तीन जवानों की टांगी से काटकर हत्या कर दी थी. घटना के बाद करीब एक महीने तक गांव खाली रहा था.
थाने से भागकर नंदलाल ने कुएं में कूद कर दे दी थी जान
25 नवंबर 2017 को गांव के सोमरा लोहरा के पुत्र नंदलाल केरकेट्टा (22 वर्ष) ने पुलिस को चकमा देकर थाना से भागने के बाद कुएं में कूद कर जान दे दी थी. पुलिस टहलू के दामाद मोतीलाल केवट की शिकायत पर नंदलाल को पकड़कर थाना लायी थी. उस समय नंदलाल की मौत का जिम्मेदार पुलिस व टहलू के परिवार पर लगाया गया था.
नंदलाल का प्रेम-प्रसंग मोतीलाल केवट की साली से था. मोतीलाल ने अपनी साली के अपहरण का केस थाना में करते हुए नंदलाल को आरोपी बनाया था. इसके बाद पुलिस नंदलाल व उसकी प्रेमिका को थाना लायी थी.
किसने क्या कहा
हत्या व पुलिस के ऊपर हुए हमले में जो लोग शामिल थे, वे छिपते फिर रहे हैं. केवट परिवार के कुछ लोग गांव में हैं. तिहरे हत्याकांड से सदमे में हैं. लेकिन अब तो किसी प्रकार जीना है. बच्चे स्कूल जा रहे हैं.
बलिराम केवट, मृतक टहलू राम का भाई
मैं व मेरी पत्नी एतवारी केरकेट्टा बेकसूर हैं. हमलोग खेत में काम करने गये थे. लेकिन जब तीन लोगों की हत्या हुई, तो एतवारी केरकेट्टा का भी नाम केस में चढ़ा दिया गया. हमें फंसाया गया है.
भउवा केरकेट्टा, ग्रामीण
तीन लोगों की हत्या व पुलिस पर हमला के पीछे लोहरा परिवार के सदस्यों का हाथ है. लेकिन इसमें पूरे गांव को फंसा दिया गया. डर से हम लोग छिपते फिर रहे हैं. कुछ लोग गांव आये हैं. लेकिन पुलिस के पहुंचने के बाद छिप जाते हैं.
तेतरी खड़ियाइन
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