नयी दिल्ली : टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और भारतीय अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड एक बार फिर मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं. दरअसल राहुल द्रविड ने खुद का नुकसान कर अपने साथ काम करने वालों की उन्होंने मदद की है.
2017 में राहुल की कोचिंग में भारतीय टीम ने अंडर-19 विश्वकप जीता. भारत की जीत के बाद बीसीसीआई ने राहुल द्रविड को 50 लाख और अन्य सहयोगी स्टाफ को उससे कम राशि देने की घोषणा की. लेकिन द्रविड को यह मसंद नहीं आया और उन्होंने इसका विरोध कर दिया.
उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए बीसीसीआई से कहा कि टीम की जीत में सभी की भूमिका समान है. वैसे में सभी को एक समान पुरस्कार दिया जाना चाहिए. राहुल द्रविड यह मांग रखते हुए अपनी इनामी राशि लेने से इनकार कर दिया. अब बीसीसीआई ने द्रविड की मांग मान ली है. अब टीम इंडिया की जीत में भूमिका निभाने वाले सभी सहयोगी स्टाफ को बराबर राशि मिलेगी. साथ ही बीसीसीआई द्रविड की मांग पर एक साल पहले टीम इंडिया को विश्वकप दौरे के लिए तैयार करने वाली सहयोगी टीम को पुरस्कार देने के लिए राजी हो गया है.
ये तो रही द्रविड की दरियादिली का ताजा उदाहरण, लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब द्रविड ने दरियादिली दिखाया हो. इससे पहले भी द्रविड ने खुद के जेंटलमैन होने का परिचय कराया है.
* राहुल द्रविड ने पूरी की कैंसर मरीज की आखिरी इच्छा
राहुल द्रविड ने एक साल पहले एक कैंसर मरीज की आखिरी इच्छा पूरी की थी. कैंसर पेशेंट की आखिरी इच्छा उनसे मिलने की थी. लेकिन उस समय द्रविड आईपीएल मैच में व्यस्त थे, लेकिन द्रविड ने उस कैंसर पेशेंट के लिए अपना समय निकाला और उसकी आखिरी इच्छा पूरी की. द्रविड ने स्काइप के जरिये उस शख्स से करीब 1 घंटे तक बात की और उससे सामने न मिल पाने के लिए माफी मांगी.
* अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर होकर खेला क्लब क्रिकेट
आप कभी सोच नहीं सकते कि कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी कभी क्लब क्रिकेट भी खेल सकता है. जब उसके पास नेम-फेम की कोई कमी न हो फिर वैसे में वो भला क्लब क्रिकेट क्यों खेले. लेकिन राहुल द्रविड वैसे एक मात्र खिलाड़ी हैं जिसने मदद के लिए क्लब क्रिकेट खेला.
बात उन दिनों कि जब द्रविड इंटनेशनल क्रिकेटर के तौर पर अपनी पहचान बना चुके थे. द्रविड जिस क्लब क्रिकेट से अपने कैरियर की शुरुआत की थी, उस क्लब क्रिकेट को अपनी पहचान बचाने के लिए एक अदद जीत की दरकार थी. अगर वो क्लब क्रिकेट हार जाती तो उसकी वरियता खत्म हो जाती.
उस क्लब क्रिकेट टीम के कोच ने द्रविड से आग्रह किया और टीम के साथ खेलने का आग्रह किया. द्रविड ने बिना कोई विचार किये क्लब क्रिकेट खेला और उस टीम को जीत भी दिलायी.
* विरोधी टीम को भी करते थे मदद
राहुल द्रविड अपने कैरियर के दौरान हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहते थे. एक बार इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर टेस्ट सीरीज खेलने आयी थी और उनके बल्लेबाजों को भारत स्पिनरों ने खासा परेशान किया था. वैसे में द्रविड ने इंग्लैंड टीम के खिलाड़ी केविन पीटरसन को पत्र लिखकर स्पिनरों को खेलने का तरीका बताया था. यह द्रविड की खेल भावना को बताता है.
* भारतीय टीम के मुख्य कोच का ऑफर ठुकराया
राहुल द्रविड को एक बार बीसीसीआई ने भारतीय टीम का मुख्य कोच बनने का ऑफर किया था. लेकिन उस समय द्रविड ने बीसीसीआई से साफ मना कर दिया था और कहा था सीनियर टीम को तो कोई भी अच्छा कोच मिल जाएगा, लेकिन भारतीय क्रिकेट के जो भविष्य हैं उन्हें तैयार करना ज्यादा जरूरी है. उन्होंने अंडर-19 टीम को कोचिंग देने की इच्छा जतायी और आज नतीजा सबके सामने है.