23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बोले चेतन भगत- काक्रोच बनें, डायनासोर नहीं

रांची : देश के चर्चित लेखक चेतन भगत शनिवार को रांची में थे. नारनोलिया सिक्यूरिटीज की तरफ से आयोजित निवेश कुंभ सम्मेलन के मुख्य वक्ता थे. चेतन ने सेलीब्रेशन हॉल सभागार में उपस्थित जनसमूह से कहा कि बेहतर और सुखमय जीवन के लिए निवेश जरूरी है. उन्होंने कहा : मैं पहले मर्चेंट बैंकर था और […]

रांची : देश के चर्चित लेखक चेतन भगत शनिवार को रांची में थे. नारनोलिया सिक्यूरिटीज की तरफ से आयोजित निवेश कुंभ सम्मेलन के मुख्य वक्ता थे. चेतन ने सेलीब्रेशन हॉल सभागार में उपस्थित जनसमूह से कहा कि बेहतर और सुखमय जीवन के लिए निवेश जरूरी है. उन्होंने कहा : मैं पहले मर्चेंट बैंकर था और आइआइटी व आइआइएम की पढ़ाई के बाद गोल्डमैन सैच्स और एक अन्य बहुराष्ट्रीय बैंक में काम किया. 2009 में 35 वर्ष की उम्र में नौकरी छोड़ दी और कहानियां लिखनी शुरू की. मैंने अपने आप को डायवर्सिफाई किया और इसी की बदौलत आज देश के बेस्ट बुक सेलर्स में मेरी पहचान है. ट्विटर पर मेरे 1.17 करोड़ से अधिक फोलोअर हैं. फेसबुक में 65 लाख फोलोअर हैं. औसतन टीवी, मीडिया, फिल्म, सोशल नेटवर्किंग और किताबों से 10 करोड़ लोगों तक मेरी पहुंच है. चेतन के अनुसार, एक युवा को करना क्या है, उसका जुनून व सपना क्या है, उसे कैसे पाना है, यह जानना जरूरी है.

जो व्यक्ति समय के साथ अपने-आप को बदलता है, वह अवश्य सफल होता है. पैसे कैसे कमायें सपने से, वित्तीय सुरक्षा कैसे मिले, मुझे क्या चाहिए, यह तय करें, कितने रुपये से मेरा मासिक खर्च चलेगा, यह भी ध्यान रखें. यह नहीं सोचें कि आज 40 हजार कमा रहा हूं. 20 हजार तो घर चलाने के लिए जरूरी है. 20 से नीचे जिंदगी की डोर नहीं चलेगी. 30 हजार मिलता, तो ठीक रहता. पर 30 के ऊपर जीतना कमा रहे हैं, उसे निवेश करें. बचत की आदत डालें. पैसा आपको कमा कर देता है.

शोरूम से निकलते ही 20 लाख की गाड़ी का मूल्य गिर जाता है : चेतन भगत ने कहा : बड़ी और लग्जरी गाड़ी, जिसका मूल्य 20 लाख से अधिक है, शोरूम से निकलते ही 15 लाख की हो जाती है. इस पर प्रति वर्ष उसका डिप्रीशिएशन भी दो-दो लाख होता है. उबर जैसी छोटी गाड़ी से काम चल सकता है, तो चलाओ. आइफोन के पीछे मत भागो. यह सोचना की आइफोन तो एक लाख में आती है. 10 इएमआइ (इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट) में पूरी हो जायेगी. जब तक इएमआइ पूरा होगा, तब तक आइफोन का दूसरा मॉडल आ जायेगा. ऐसा करते-करते पांच वर्ष बीत जायेंगे और दिखावे में आपके पैसे फिजूल के खर्च हो जायेंगे. पांच वर्ष में आप 10 लाख रुपये तक का निवेश कर लाभ अर्जित कर सकते हैं. फालतू खर्चों से बचें. कोई भी उपभोग की सामग्री सुख नहीं देती है. निवेश आपको स्वतंत्रता और जीवन का चैन देता है.

दो रास्ते हैं पैसे कमाने के : चेतन ने कहा : एक मनुष्य के पास दो तरह की जिंदगी है. एक में वह 20 वर्ष की उम्र में फूल मस्ती करता है. खूब ऐश करता है. पढ़ने-लिखने से गुरेज करता है. ह्वाट्सएप पर लटका रहता है. गर्लफ्रेंड को घूमाने, ब्वायफ्रेंड के चक्कर में समय बीत जाता है. ऐसे मनुष्य 30 वर्ष में जब संभलते हैं, तो इएमआइ के चक्कर में फंस जाते हैं. कैरियर सेट करने में लग जाते हैं. 30 वर्ष की आयु में 20 वर्ष के खर्चे को भरने में जुट जाते हैं. एेसे करते-करते 40 ‌वर्ष की उम्र हो जाती है. बैंक बैलेंस जीरो रहता है. बच्चे पैदा हो जाते हैं. घर में पत्नी बच्चों की फरमाईश पूरा करने को कहने लगती हैं. 50 वर्ष की उम्र में बेटे के पास जाकर बोलते हैं कि बुढ़ापे में मेरा ख्याल रखना और 60 वर्ष में सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए दौड़ लगानी पड़ती है. 70 से 80 वर्ष में ऐसे लोग दुनिया छोड़ चले जाते हैं.

बेहतर नींव डालें
दूसरी श्रेणी में वैसे लोग हैं, जो 20 वर्ष की उम्र में अधिक मेहनत करते हैं. पॉकेट मनी को बचा कर निवेश की आदत डालते हैं अपना नींव बनाते हैं. 30 वर्ष की उम्र में एसआइपी में पैसा डालते हैं. तब तक अच्छी नौकरी मिल जाती है. जरूरत पड़ने पर फ्लैट ले लेते हैं. 40 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र में आते-आते उनका पैसा बन जाता है. बच्चे भी अपने फ्रेंड सर्किल में कहते हैं पापा के पास पैसा है और जरूरत का पैसा भी मांगते हैं. 60 वर्ष तक ऐसे व्यक्ति दुनिया घूमते हैं. बेस्ट डॉक्टर से इलाज कराते हैं. सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को संभालते हैं, देखते हैं.

काक्रोच बनें, डायनासोर नहीं

उन्होंने कहा : पुरानी परंपरा कि सरकारी नौकरी पाकर स्थायी हो जाओ, विवाह करने के बाद सांसारिक और पारिवारिक जीवन में ढल जाओ, यह विचारधारा अब बदल गयी है. बगैर जुनून के जीवन में कुछ मिलनेवाला नहीं है. नौकरी करनी है, तो नौकरी की जगह से भी प्यार होना चाहिए. यह नहीं कि बॉस के डर से कार्यालय समय पर पहुंचे और छुट्टी के दिन बाल-बच्चों के साथ मस्ती करें. जुनून, सपने को सुख-दुख (इमोशन) के साथ जोड़ें. चार्ल्स डारवीन ने भी यही कहा था फिटेस्ट फोर द सर्वाइवल. इसलिए आप काक्रोच बनें, क्योंकि काक्रोच किसी भी परिस्थिति और किसी भी जगह अपने आप को ढाल लेते हैं. जो काक्रोच नहीं बन पाते हैं, वे डायनोसोर की तरह लुप्त हो जाते हैं. नौकरी छोड़ने के बाद मेरा मकसद था, अधिक से अधिक भारतीयों का मनोरंजन करना. इसलिए मैंने अंग्रेजी में किताबें लिखीं. इसमें फाइव प्वाइंट्स समवन, द थ्री मिस्टेक्स ऑफ माइ लाइफ, टू स्टेट्स, द मिलिनियोर… समेत अन्य पुस्तकें शामिल हैं. मेरी किताबों पर आधारित ही कोई पो चे, हाफ गर्ल फ्रेंड समेत अन्य फिल्में बनीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें