नयी दिल्ली : सरकारी बैंकों में एक के बाद एक घोटाला सामने आने के बावजूद सरकार बैंकों का निजीकरण नहीं करेगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऐसी किसी भी संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है. पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में सामने आये 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले के संदर्भ में वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को राजनीतिक रूप से स्वीकार नहीं किया जायेगा.
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इकोनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि पीएनबी घोटाले के बाद काफी लोगों ने निजीकरण की बात शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए बड़ी राजनीतिक सहमति की जरूरत है. साथ ही बैंकिंग नियमन कानून का भी संशोधन करना पड़ेगा. मुझे लगता है कि भारत में राजनीतिक रूप से इस विचार के पक्ष में समर्थन नहीं जुटाया जा सकता. यह काफी चुनौतीपूर्ण फैसला होगा.’
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष राशेष शाह ने शुक्रवार को वित्त मंत्री से मुलाकात कर चरणबद्ध तरीके से बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया था. शाह ने कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र में सिर्फ दो-तीन बैंक होने चाहिए. नीरव मोदी द्वारा पीएनबी से घोटाला किये जाने के बाद से निजीकरण की मांग उठने लगी है.
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उद्योग मंडल एसोचैम ने भी सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 50 प्रतिशत से कम पर लाने को कहा है. कुछ उद्योगपतियों ने भी बैंकों के निजीकरण का समर्थन किया है. गोदरेज समूह के आदि गोदरेज का कहना है कि निजी क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी बिल्कुल नहीं होगी या बहुत कम होगी. बजाज समूह के प्रमुख राहुल बजाज भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के पक्ष में हैं.