कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस ने बैंक धोखाधड़ी पर विधानसभा में गुरुवार को चर्चा कराने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला अदालत के विचाराधीन है. विपक्ष ने बैंक धोखाधड़ी पर सदन में नियम 185 के तहत चर्चा कराये जाने की मांग की थी. गुरुवार को विधानसभा की बीए कमेटी की बैठक में सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा को लेकर विचार-विमर्श हुआ. कई सप्ताह के बाद कांग्रेस व वाममोर्चा के विधायक बीए कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया था. बैठक में कांग्रेस के विधायक मनोज चक्रवर्ती व नेपाल महतो ने प्रस्ताव का मुद्दा उठाया. पश्चिम बंगाल के संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने पत्रकारों से कहा : हम विधानसभा में पीएनबी मुद्दे पर चर्चा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि यह मामला अदालत के विचाराधीन है.
इस समय इस तरह के मामले पर राज्य विधानसभा चर्चा नहीं कर सकती है. कांग्रेस और माकपा ने तुरंत निशाना साधते हुए कहा कि चर्चा से इनकार किया जाना इस बात का सबूत है कि तृणमूल और भाजपा के बीच मौन सहमति है.
विपक्ष के नेता और कांग्रेस विधायक अब्दुल मन्नान ने कहा : जब हमने चर्चा कराये जाने के लिए प्रस्ताव सौंपा था, तभी हमे ऐसी आशंका थी कि क्या इसे स्वीकार किया जायेगा या नहीं. अब यह साबित हो गया है कि तृणमूल और भाजपा के बीच समझौता है और इसलिए वे इस मामले पर चर्चा कराना नहीं चाहते है.
श्री मन्नान ने कहा कि यदि सरकार को प्रस्ताव की कुछ लाइनों पर आपत्ति है, तो विपक्ष इस लाइन को हटाने के लिए तैयार है. विपक्ष चाहता है कि केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ हो रही क्षति के मामले में केंद्र में एक सर्वदलीय प्रस्ताव जाये. उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार के रवैये से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार इस मामले को टालना चाहती है और डर है कि भाजपा व तृणमूल कांग्रेस के बीच गुपचुप साठगांठ का रहस्य खुल जायेगा.
माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि केंद्र में सभी विपक्षी पार्टियों ने पीएनबी घोटाले के मामले में संयुक्त संसदीय कमेटी का गठन कर जांच करने की मांग की थी, लेकिन तृणमूल कांग्रेस इसके पक्ष में नहीं है. उसी तरह से राज्य में भी तृणमूल कांग्रेस एकजुट होकर भाजपा सरकार के खिलाफ प्रस्ताव भेजना नहीं चाहती है, क्योंकि इससे तृणमूल के एजेंडे को नुकसान पहुंचेगा. केंद्र में जो काम भाजपा की सरकार कर रही है. राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार भी चिटफंड घोटाले के माध्यम से की है.