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नयी दिल्ली: रेलवे भर्ती परीक्षा को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सफाई पेश की है और कहा है कि शुल्क बढ़ाने का फ़ैसला इसलिए लिया गया है ताक़ि परीक्षा के लिए गंभीर उम्मीदवार ही आवेदन कर सकें. कई बार कम शुल्क की वजह से लोग आवेदन कर देते हैं लेकिन परीक्षा के दिन गायब हो जाते हैं. ऐसे में सरकार को नुकसान उठाना पड़ता है. आगे उन्होंने यह भी कहा है कि अगर उम्मीदवार परीक्षा देता है तो बढ़ी हुई फीस वापस कर दी जाएगी.
इसके अलावा परीक्षा के संबंध में पीय़ूष गोयल ने साफ किया है कि उम्मीदवार किसी भी भाषा में सिग्नेचर कर सकते हैं. आपको बता दें कि ऐसी ख़बरें थीं कि सिर्फ़ हिन्दी या अंग्रेज़ी में किये गये सिग्नेचर को ही मान्यता दी जाएगी. रेल मंत्री ने कहा कि कई बार अगर शुल्क न रखा जाए तो बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी आवेदन करते हैं, जो गंभीर नहीं होते और उस स्थिति में परीक्षा के दिन ऐसे आवेदक परीक्षा देने की जहमत नहीं उठाते. ऐसी स्थिति में परीक्षा के लिए सरकार ने जो इंतजाम किये होते हैं, उन पर खर्च हुई राशि बर्बाद हो जाती है.
यही कारण है कि इस बार रेलवे ने तय किया है कि अनुसूचित जाति व जनजाति समेत जिन वर्गों को पहले इस तरह की परीक्षा के लिए आवेदन के साथ कोई राशि नहीं देनी होती थी, उन्हें अब 250 रुपये की फीस देनी होगी जबकि अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को 500 रुपये की राशि आवेदन के साथ देनी पड़ेगी. गोयल का कहना है कि आवेदन करने वालों में से जितने उम्मीदवार परीक्षा देंगे, उनमें से आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को उनकी पूरी फीस यानी 250 रुपये वापस की जाएगी. वहीं अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को 500 रुपये के शुल्क में से 400 रुपये वापस कर दिये जाएंगे.
इस तरह से देखा जाए तो अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए रेलवे भर्ती में आवेदन करने का एक तरह से पहले की तरह ही महज 100 रुपये शुल्क होगा जबकि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को 250 रुपये वापस मिल जाएंगे. रेल मंत्री ने बताया कि भर्ती के लिए परीक्षा कंप्यूटर के माध्यम से ही होगी और यह 15 भाषाओं में दी जा सकेगी.