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विद्यार्थियों के लिए फीडर जैसा काम करते हैं शिक्षक : डॉ जावेद

वक्ताओं ने बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण पर दिया जोर गया : डीएवी पब्लिक स्कूल के अलग-अलग विद्यालयाें में रविवार काे सेमिनार आयाेजित कर अलग-अलग विषयाें पर परिचर्चा की गयी. डीएवी पब्लिक स्कूल, सीआरआरसी व डीएवी अशाेकनगर में भी कार्यक्रम हुए. डीएवी सीआरआरसी में विज्ञान विषय पर आयाेजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि गया कॉलेज के एमबीए […]

वक्ताओं ने बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण पर दिया जोर
गया : डीएवी पब्लिक स्कूल के अलग-अलग विद्यालयाें में रविवार काे सेमिनार आयाेजित कर अलग-अलग विषयाें पर परिचर्चा की गयी. डीएवी पब्लिक स्कूल, सीआरआरसी व डीएवी अशाेकनगर में भी कार्यक्रम हुए. डीएवी सीआरआरसी में विज्ञान विषय पर आयाेजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि गया कॉलेज के एमबीए के विभागाध्यक्ष व फैकल्टी अॉफ मैनेजमेंट (एमयू) के डीन डॉ जावेद अशरफ ने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियाें के लिए फीडर का काम करते हैं. बच्चाें काे कभी भी द्वेष की भावना से नहीं देखना चाहिए.
अगर शिक्षक काे कभी भी बच्चाें के प्रति क्राेध आये, ताे उनका यह दायित्व है कि वह अपने क्राेध पर याेग के माध्यम से नियंत्रण रखें. शिक्षक समाज के कर्णधार हाेते हैं. अपनी विद्वता से बच्चाें के व्यक्तित्व का निर्माण करें. उन्हाेंने गुरुकुल शिक्षा पद्धति से आज की पद्धति की तुलना करते हुए महाभारत में पांडवाें के व्यक्तित्व वैभिन्य काे बताया. कक्षा में सभी बच्चाें काे समान दृष्टि से देखना चाहिए.
बच्चाें से दूरियां बनाकर नहीं रखनी चाहिए. बच्चाें काे सही समय में सही विषय वस्तु काे बताना ही व्यवसायवाद है. प्रश्नपत्र निर्माण में सामान्य प्रश्नाें पर विशेष बल दिया जाना चाहिए. पांच प्रतिशत प्रश्न ही कठिन हाेना चाहिए, जिससे कुशाग्र बालक के ज्ञान की माप हाे सके. श्री अशरफ ने कहा कि कक्षा में पढ़ाते समय विषय वस्तु की चर्चा के साथ-साथ कभी-कभी हास-परिहास की भी बातें हाेनी चाहिए. कार्यशाला में विद्यालय के प्राचार्य अनिल कुमार ने अतिथियाें का स्वागत किया. इस अवसर पर डीएवी पब्लिक स्कूल कैंट एरिया के गाैतम सिन्हा, एसके त्रिपाठी ने ‘प्रभावी सुधार व कक्षा प्रबंधन तकनीक’ विषय पर चर्चा की.
डीएवी राेटरी में भी कार्यशाला : अशाेक नगर स्थित डीएवी राेटरी कैंपस में डीएवी सीएइ के तत्वावधान में कार्यशाला आयाेजित की गयी. इस माैके पर गीता कुमारी ने कहा कि प्रारंभिक बच्चाें काे जब पढ़ायें, ताे शिक्षक-शिक्षिकाआें का चेहरा हंसता-मुस्कुराता हुआ हाेना चाहिए. वाणी में माधुर्य, प्रेम व सहिष्णुता का भाव हाेना चाहिए. इस माैके पर स्कूल की प्राचार्य संयुक्ता गाेपाल ने अतिथियाें का स्वागत किया.

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