अगरतला/नयी दिल्ली : त्रिपुरा में रविवार को हुए विधानसभा चुनाव में 78.56 प्रतिशत मतदान हुआ. मतदान में 25.73 लाख से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. राज्य में भाजपा पिछले 25 साल से सत्तासीन वाममोर्चा को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रही है.
त्रिपुरा विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 59 पर शांतिपूर्ण मतदान हुआ. राज्य स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हजारों कर्मी तैनात किये गये थे. कुछ मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में गड़बड़ी की खबरें सामने आयीं और उन्हें दुरुस्त कर दिया गया. चारिलाम विधानसभा क्षेत्र में पिछले हफ्ते माकपा उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देब वर्मा की मौत हो जाने के कारण आज मतदान नहीं हो पाया. इस निर्वाचन क्षेत्र में 12 मार्च को वोट डाले जायेंगे.
चुनाव आयोग ने दिल्ली में कहा कि नया मतदान प्रतिशत 59 निर्वाचन क्षेत्रों में से 41 से तैयार किया गया है. अपनी पिछली ब्रीफिंग में उसने मतदान का प्रतिशत 74 रहने की बात कही थी. चुनाव उपायुक्त सुदीप जैन ने राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाताओं को बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में 91.82 फीसद मतदान और 2014 के लोकसभा चुनाव में 84.32 फीसद मतदान हुआ था. उनके अनुसार दो बम मिले जिन्हें सुरक्षाकर्मियों ने निष्क्रिय कर दिया. मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है क्योंकि मतदान समापन सीमा चार बजे खत्म होने के बाद भी मतदान केंद्रों पर लंबी लाइनें देखी गयीं.
चुनाव कानून के अनुसार मतदान समापन सीमा के वक्त लाईन में खड़े मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने देने की व्यवस्था है. अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी तापस राय ने अगतरतला में कहा कि शुरु में कुछ ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी हुई जिसे सही कर दिया गया. दिन में मुख्य चुनाव अधिकारी श्रीराम तरानकांति ने कहा था कि पश्चिम त्रिपुरा, खोवाई और उनाकोटि जिलों में कुछ मतदान केंद्रों पर मतदान में देरी हुई क्योंकि अधिकारी ईवीएम सही से नहीं जोड़ पाये. तुरंत तकनीशियन भेजे गये और उन्होंने ईवीएम सही कर दिया. इस सीमावर्ती राज्य में चुनाव मैदान में उतरी भाजपा माकपा की अगुवाई वाले वाममोर्चा के लिए एक अहम चुनौती बनकर उभरी है. वाममोर्चा पिछले पांच विधानसभा चुनावों में अपराजेय रहा है। माकपा के दिग्गज नेता माणिक सरकार ने चार कार्यकाल पूरे किये हैं.
त्रिपुरा में हाशिये पर सिमटी कांग्रेस 59 सीटों पर लड़ रही है. उसने काकराबोन सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा है. वह आखिर बार फरवरी1988 और मार्च1993 के बीच सत्ता में रही थी. पूर्वोत्तर में लगातार अपना पैर फैला रही भाजपा ने 51 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं. उसने इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) से चुनावपूर्व गठबंधन किया था. बाकी नौ सीटों पर वामविरोधी आईपीएफटी उम्मीदवार हैं. पार्टी पहले से ही असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में सत्ता में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वामपंथ के बचे खुचे किलों में से एक में भाजपा-आईपीएफटी चुनौती की अगुवाई की.
माणिक सरकार ने भगवा चुनौती से इस वाम किले को बचाने की अकेले अपने दम पर बचाने की कोशिश की. पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) के वी श्रीजेश ने बताया कि मतदान अप्रिय घटना से मुक्त रहा. राज्य में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण मतदान के लिए पुलिस के अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 300 कंपनियों तैनात की गयी थी. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) त्रिपुरा में 856 किलोमीटर लंबी भारत बांग्लादेश सीमा पर कड़ी नजर बनाये हुए था. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के महानिदेशक आर के पचनंदा को चुनाव में तैनात सभी सुरक्षाबलों के बीच समन्वय के लिए विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया था.
माणिक सरकार ने यहां रामनगर में मतदान किया जबकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बिप्लव देब ने गोमती जिले में आर के पुर में वोट डाला. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने उनकोटि जिले के कैलाशहर में ईवीएम बटन दबाया. राज्य में 25,73,413 पंजीकृत मतदाता हैं जिनमें 12,68,027 महिलाएं हैं.