पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन में बिहार में किये जा रहे बदलावों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हमलोग वोट की चिंता नहीं करते. वोट देने वालों की चिंता करते हैं. हमारी सामाजिक न्याय को लेकर प्रतिबद्धता है. जिस विकेंद्रीकरण के रास्ते को बापू ने बताया और जेपी-लोहिया ने आगे […]
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन में बिहार में किये जा रहे बदलावों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हमलोग वोट की चिंता नहीं करते. वोट देने वालों की चिंता करते हैं. हमारी सामाजिक न्याय को लेकर प्रतिबद्धता है. जिस विकेंद्रीकरण के रास्ते को बापू ने बताया और जेपी-लोहिया ने आगे बढ़ाया, हमने बिहार में विकास के उसी रास्ते को अपनाया है. उन्होंने कहा, पहले मिलेनियम डेवपलमेंट लक्ष्य था.
लेकिन वर्ष 2015 से भारत की संसद ने सस्टेनेबल गोल (टिकाऊ लक्ष्य) रखा है. इसके 17 प्वाइंट्स हैं, जिनमें गरीबी, भुखमरी, स्वास्थ्य, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता, जल, स्वच्छता, ऊर्जा, पर्यावरण, सामाजिक न्याय मुख्य बिंदु हैं. इन प्रति हम सब लोगों की प्रतिबद्धता है. आबादी का आधा हिस्सा महिलाओं का है. इस हिस्से की विकास में हिस्सेदारी नहीं होगी तो विकास कैसे होगा. संविधान में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण दिये जाने का जिक्र है.
लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए वर्ष 2006 में हमने बिहार में 50% आरक्षण दिया. इसके बाद से अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं. महिलाओं का समूह बनाने के लिए जीविका समूह शुरू की. केंद्र सरकार ने इसी मॉडल पर आजीविका नाम से योजना चलायी. उन्होंने कहा कि जब तक संसद और विधानमंडलों में महिलाओं के आरक्षण का कानून पास नहीं होगा, तब तक नारी सशक्तीकरण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठ सकता. संसद में महिला आरक्षण होने पर उनका जबरदस्त सशक्तीकरण होगा.
उनमें विश्वास का भाव आयेगा. उन्होंने कहा कि संसद के रोल से सभी विधानमंडल प्रभावित होते हैं. विधानमंडल के एक्टिव और विकास कोष के प्रति कमिट होने पर निश्चित ही सरकार भी काम करेगी और पॉलिटिकल एक्जूक्यूटिव को भी काम करना पड़ेगा. उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चर्चा करते हुए कहा कि इस दिशा में भी गंभीर होना होगा.