तीन पूर्व सांसदों ने किया कुड़मी को एसटी का दर्जा देने का विरोध
चाईबासा-रांची : कुड़मी (महतो) को आदिवासी का दर्जा मिला, तो झारखंड में आदिवासियों का विनाश हो जायेगा. आदिवासियों के समक्ष विकट परिस्थिति हो जायेगी. राज्य सरकार को आदिवासियों की चिंता नहीं है. उक्त बातें पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू ने शुक्रवार को पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई के गुटुसाई स्थित आवास पर प्रेस वार्ता में कहीं. दोनों पूर्व सांसद ने कुड़मी को एसटी का दर्जा की मांग का विरोध किया. श्री सिंकू ने कहा राज्य सरकार आदिवासियों की जमीन लूटने में लगी है. जमीन पर कल-कारखाने खोले जा रहे हैं. आदिवासियों को रोजगार नहीं मिल रहा है. आज आदिवासी विकट परिस्थिति से गुजर रहे हैं.
कुड़मी को एसटी का दर्जा मिला तो आदिवासियों को अस्तित्व खत्म हो जायेगा.
आदिवासी जनप्रतिनिधि विस की जगह सड़क पर उठा रहे मुद्दा : उन्होंने कहा कि आदिवासी जनप्रतिनिधि विधानसभा में आवाज उठाने के बजाय सड़क पर उठा रहे हैं. जनहित में नियम-कानून बनाने या संशोधन का सही मंच संसद और विधानसभा है. अचानक संसद और विधानसभा के बाहर आवेदन के जरिये इस तरह के संवेदनशील मुद्दा झारखंडी जनता के बीच टकराहट का माहौल उत्पन्न करने के पीछे क्या मंशा है. दोनों समुदाय के लोग आमने-सामने खड़े दिखायी दे रहे हैं. जनप्रतिनिधि ही वैमनस्य पैदा करते हैं. आदिवासियों की हित में सरकार समाधान नहीं ढूंढ़ रही है.
दो समुदायों के बीच जहर घोल रही सरकार : पूर्व सांसद बागुन सुंबरुई ने कहा कि कुड़मी समाज दावा कर रहा है कि आदिवासी समाज और कुड़मी समाज के बीच रीति-रिवाज व परंपरा समान है. यह बिल्कुल भ्रामक है. महतो समाज का पर्व-त्योहार, शादी-विवाह की रीति-रिवाज भिन्न है.
यह सिर्फ जनता के बुनियादी सवालों से ध्यान भटकने और जमीन व संपत्ति बचाने के लिए हो रहे हैं. संघर्ष को खत्म करने का यह एक षड्यंत्र है. सरकार सभी जनमुद्दे पर विफल है. दोबारा सत्ता में काबिज होने के लिए भाजपा कुड़मी समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए इस तरह का मुद्दा उठाया है. दो समुदायों के बीच जहर घोलने का काम कर रही है.
जमीन से बे-दखल करने का एक षड्यंत्र : पूर्व सांसद डीपी जामुदा ने कहा कि सरकार का आदिवासी पीढ़ी को बर्बाद करने और जमीन से बे-दखल करने का षड्यंत्र है. जिसका हम आदिवासी समाज विरोध करते हैं. अपनी पीढ़ी को बचाने के लिए संघर्ष का एलान करते हैं. इस अवसर पर कांग्रेसी नेता त्रिशानु राय उपस्थित थे.