पटना / नयी दिल्ली : एक अध्ययन के अनुसार बिहार के स्टेशनों से छूटने वाली, वहां से गुजरने वाली या इन स्टेशनों को पहुंचने वाली रेलगाड़ियां की लेटलतीफी के मामले में हालत देश भर में सबसे बुरी है. यहां रेलगाड़ियों की औसत लेटलतीफी सबसे अधिक आंकी गयी है, जबकि गुजरात में रेलगाड़ियों की लेटलतीफी सबसे कम है. यह अध्ययन आनलाइन ट्रेवल पोर्टल रेलयात्री ने किया है. पोर्टल का दावा है कि उसके एक करोड़ से अधिक मासिक उपयोक्ता हैं. अध्ययन के अनुसार बीते दो साल में तीन राज्यों उत्तराखंड, बिहार व केरल में रेलगाड़ियों की लेटलतीफी में दहाई प्रतिशतांक की वृद्धि दर्ज की गयी.
इसके अनुसार औसतन आधार पर 2017 में बिहार के लिए रेलगाड़ियों में 104 मिनट की देरी दर्ज की गयी. यह देरी 2016 में 93 मिनट जबकि 2015 में 80 मिनट थी. बीते तीन साल में रेलगाड़ियों में औसत देरी में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. रपट में कहा गया है कि अगर यह लेटलतीफी इसी तरह से चलती रही तो कुछ ही साल में इन स्टेशनों पर रेलगाड़ियों की औसत देरी दो घंटे से भी अधिक हो सकती है. बिहार के अलावा गाड़ियों की लेटलतीफी के लिहाज से शीर्ष पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा व असम भी है. अध्ययन के अनुार राष्ट्रीय आधार पर रेलगाड़ियों के आवागमन में औसत विलंब 2017 में 53 मिनट रहा.
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