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बिहार के कुलाधिपति से विशेष बातचीत : ”समय पर होंगी परीक्षाएं, बदलेगा पाठ्यक्रम, माहौल भी होगा बेहतर”

बिहार के सभी नौ विश्वविद्यालयों में 31 मार्च तक छात्र संघ चुनाव होना है. पटना विश्वविद्यालय में 17 फरवरी को वोट पड़ेगा. विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव से कैंपस में नयी ऊर्जा के संचार की संभावना बनती है. राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं. इस मौके परउच्च शिक्षा व कैंपस से जुड़े मुद्दों परबिहार […]

बिहार के सभी नौ विश्वविद्यालयों में 31 मार्च तक छात्र संघ चुनाव होना है. पटना विश्वविद्यालय में 17 फरवरी को वोट पड़ेगा. विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव से कैंपस में नयी ऊर्जा के संचार की संभावना बनती है. राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं. इस मौके परउच्च शिक्षा व कैंपस से जुड़े मुद्दों परबिहार के राज्यपाल सह राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति सत्यपाल मलिक से अजय कुमार ने विशेष बातचीत की है.कुलाधिपति सत्यपाल मलिक मानते हैं कि समाज के विकास में उच्च शिक्षा की खास अहमियत है.पढ़ें :

मुझे बिहार की जिम्मेदारी मिली, तो यहां की उच्च शिक्षा के बारे में स्वाभाविक चिंता हुई. कई लोगों से बात की. सबने कहा कि स्थिति को ठीक करने की चुनौती है. हमने उसे स्वीकार किया. यहां आने के बाद एक-एक चीज पर गौर किया. हर स्तर पर विमर्श की कोशिश की. यहां की सरकार भी हमारे साथ खड़ी है. ऐसे में अब काम ही करना है. कुलपतियों की पहली बैठक बुलायी और उसके पहले की प्रोसिडिंग मंगवायी. हमने पूछा कि जो काम साल भर पहले हो जाना चाहिए था, वह अब तक क्यों नहीं हुआ? हमने तय किया कि अब साल में नहीं, महीने में एक बार कुलपतियों की मीटिंग होगी.

इसलिए जरूरी हैं छात्र संघ के चुनाव

कैंपस में छात्रों की चुनी हुई यूनियन का होना जरूरी है. आखिर कैंपस की समस्याओं पर अथॉरिटी के साथ कौन बात करेगा? इस शून्यता के चलते छात्र और विवि प्रशासन के बीच संवाद नहीं हो पाता. मेरा अनुभव है कि इसका वहां के माहौल पर खराब असर पड़ता है. इसलिए हमने कहा है कि सभी विश्‍वविद्यालय 31 मार्च तक छात्र संघ के चुनाव करा लें. इससे विश्‍वविद्यालय की दिक्कतों पर विमर्श के लिए एक वाजिब प्लेटफॉर्म मिलेगा.

कैलेंडर लागू होने से होगा सुधार

हम मानते हैं कि विश्‍वविद्यालयों में एकेडमिक और परीक्षा कैलेंडर होना बेहद जरूरी है. इसके अभाव में सत्र लेट होता है और पढ़ाई पर असर पड़ता है. छात्रों का कीमती समय जाया होता है. आखिर इसमें उनका क्या कसूर? लिहाजा, हमने एकेडमिक और एग्जामिनेशन कैलेंडर को सख्ती से लागू करने को कहा है. कुछ विश्‍वविद्यालयों में सत्र व परीक्षाएं लेट हैं, उन्हें नियमित करने के निर्देश दिये गये हैं. कैलेंडर तैयार करने के लिए अगले महीने की समय सीमा तय की गयी है.

नया पाठ्यक्रम तैयार होगा

उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर हर ओर बात हो रही है. इसके मद्देनजर नया पाठ्यक्रम बनाने का फैसला हुआ है. हमने पाया कि विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम काफी पुराने हो गये हैं. पटना विश्‍वविद्यालय के कुलपति से कहा गया है कि वे अनुभवी व सक्षम अध्यापकों की एक टीम बनाएं. यह टीम यूजीसी सहित दूसरे केंद्रीय विश्‍वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर नया पाठ्यक्रम तैयार करेगी. हमारी कोशिश है कि इस काम को चरणबद्ध तरीके से राज्य के अन्य विश्‍वविद्यालयों में भी लागू किया जाये. इस प्रक्रिया में शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने पर जोर होगा. इस मुतल्लिक हमने यूजीसी के पूर्व चेयरमैन वेद प्रकाश जी को यहां बुलाया. 21 फरवरी को उनके साथ बैठक होगी. जिसमें सभी कुलपति हिस्सा लेंगे.

लड़कियों के लिए बेहतर माहौल बने

हम चाहते हैं कि विश्‍वविद्यालय और कॉलेज में लड़कियों के लिए बेहतर माहौल तो बने ही, हमारे समाज का माहौल भी बेहतर हो. कैंपस हमारे समाज से अलग तो है नहीं. हमें पता चला कि पीयू में लड़कियों के वाशरूम की दिक्कत है, तो मुझे अजीब लगा. हमने तत्काल सभी विश्‍वविद्यालयों और महाविद्यालयों में वाशरूम बनाने की योजना बनायी. मुझे बताया गया है कि अगले मार्च तक इस योजना का कार्यान्वयन हो जायेगा. हम मानते है कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ आधारभूत संरचना को अलग-अलग कर नहीं देखा जाना चाहिए. आधारभूत संरचना की उपलब्धता भी उतनी ही जरूरी है. पटना में लड़कियों के कुछ कॉलेजों में सुरक्षा की पहल की गयी है. डीजीपी ने वहां महिला पुलिसकर्मियों को लगाया है.

मानव संसाधन बड़ी पूंजी

मेरा तो मानना है कि बिहार के पास मेधा की कमी नहीं है. यहां की ताकत मानव संसाधन है. बिहार के लड़के देश-दुनि या में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कामयाब हो रहे हैं.

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