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हाइ एक्सप्लोसिव का प्रयोग : घटनास्थल के बायीं ओर बनाया था बंकर नुमा छोटा गड्ढा, दूर तक उड़ कर पहुंचे अवशेष
कोडरमा : कांग्रेस जिलाध्यक्ष शंकर यादव की बम प्लांट कर हत्या करने के लिए अपराधियों ने पूरी तैयारी की थी. किसी अच्छे एक्सपर्ट की मदद लेकर घटना को लेकर पूरी साजिश रची गयी और इसे अंजाम दिया गया. यही नहीं घटना को अंजाम देने से पहले अपराधियों ने पूरे इलाके की रेकी की थी.
यही कारण था कि घटना के दिन मंगलवार को दोपहर करीब 2:30 बजे शंकर यादव अपने स्कॉर्पियों से पहले पत्थर खदान पहुंचे तो कुछ ही घंटे बाद लौटने के दौरान तय योजना के तहत अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया. अपराधी शंकर यादव के आने-जाने की टाइमिंग को समझ रहे थे और इसी को ध्यान में रखते हुए पूरी तैयारी की गयी और ऐसी घटना को अंजाम दिया गया, जिसमें दो लोगों की जान चली गयी. घटना में हाइ एक्सप्लोसिव क्लोबर माइंस के प्रयोग की बात सामने आ रही है. इसके साथ ही आरडीएक्स के संभावित प्रयोग पर भी पुलिस जांच कर रही है. हालांकि, जांच पदाधिकारी के अनुसार आरडीएक्स के प्रयोग की संभावना कम है, पर पुलिस पदाधिकारी के अनुसार जिस तरह घटना को अंजाम दिया गया, उसमें नक्सली या उग्रवादी संगठन के सक्रिय सदस्य का सहयोग लिया गया होगा या फिर किसी अपराधी ने इस तरह का बम प्लांट करने का प्रशिक्षण लेकर घटना को अंजाम दिया. पुलिस के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती है और सबसे पहले पुलिस इसी बिंदु पर कार्य कर रही है कि इतना बड़ा बम प्लांट इस तरह साजिश रच कर कैसे किया गया. अगर नक्सली या उग्रवादी संगठन के सहयोग से घटना को अंजाम दिया गया, तो पुलिस इसके पीछे के अन्य कारण को जानने का प्रयास कर रही है. सिर्फ पत्थर खदान के जमीन विवाद को लेकर नक्सली या उग्रवादी संगठन की मदद से इस तरह की घटना पुलिस पदाधिकारियों के समझ से फिलहाल बाहर है. हालांकि, विस्फोटक और विस्फोट के लिए जो तरीका अपनाया गया, उससे इसी बात को ज्यादा बल मिल रहा है.
ऐसे में पुलिस की चुनौती और बढ़ गयी है. यही नहीं घटनास्थल पर जिस प्रकार बायीं ओर एक जगह पर बंकर नुमा गड्ढा बनाया गया, उससे यह साफ हो रहा है कि अपराधी ने इसी जगह पर छिप कर रिमोट या अन्य उपकरण का प्रयोग किया और फिर घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया. इस बंकरनुमा गड्डा के पीछे खेत व पूरा सुनसान इलाका है. इसका भी फायदा अपराधियों को मिला. वहीं जिस ऑटो में बम प्लांट करने की बात सामने आ रही है, उसमें भारी मात्रा में कुट्टी डाल कर ढक दिया गया था. घटनास्थल पर बना ब्रेकर भी दो-तीन दिन पहले ही बनाया गया था.
घटनास्थल की तस्वीर देख लगता है कि बायी ओर ऑटो लगाने के साथ ही बंकरनुमा गड्डा बनाया गया, ताकि जब शंकर यादव खदान से लौटे तो स्कॉर्पियो पर बैठे होने के दौरान बायीं ओर ज्यादा नुकसान हो. घटना में यही हुआ भी अोर बायीं ओर बैठे शंकर यादव, निजी अंगरक्षक कृष्णा यादव की मौत हो गयी.
अधिकतर इकाइयों में कामकाज ठप: इधर, घटना के तीसरे दिन चंदवारा के ढाब थाम के पास स्थित घटनास्थल के आसपास सन्नाटा पसरा रहा. दोपहर के समय में आइजी शंभु ठाकुर, डीआइजी भीमसेन टूटी, एसपी शिवानी तिवारी जायजा लेने के लिए पहुंचे जरूर, पर घटनास्थल पर कुछ सामान बिखरे पड़े होने के अलावा सन्नाटा दिखा. आसपास इलाके में स्थित अधिकतर पत्थर खदानों, क्रशर इकाइयों में कामकाज पूरी तरह ठप है.
प्रभात खबर टीम शंकर यादव के चौपारण थाना क्षेत्र में पड़ने वाले उस खदान में भी पहुंची जहां पास के खनन क्षेत्र वाले जमीन को लेकर मुनेश यादव पिता नाथो यादव निवासी भटबिगहा के साथ वर्षों से विवाद चलने की बात सामने आ रही है. यहां लोगों ने बताया कि करीब दस वर्ष से यह विवाद चल रहा है. ऐसे में मुनेश यादव का खदान शुरू से बंद है. शंकर यादव का खदान करीब दो एकड़ क्षेत्र में संचालित है. बगल में क्रशर इकाई भी है, जबकि रोड के दूसरे तरफ आरोपी मुनेश यादव की क्रशर इकाई है, जिसे उसने कुछ माह पूर्व किराये पर चलाने के लिए किसी अन्य को दे रखा है.
हाइ एक्सप्लोसिव के प्रयोग को देखते हुए आसपास किया गया था पूरा इंतजाम
कर्मियों ने बतायी घटना की कहानी
शंकर यादव के खदान पर मुंशी का कार्य करने वाले कमलेश प्रसाद मंडल निवासी करमा मिले. पूछने पर उन्होंने बताया कि घटना के दिन करीब 2:30 बजे शंकर यादव आये थे. खदान में चल रहे कार्य को देखने के बाद करीब 4:30 बजे वे निकले थे. उनके जाने के तुरंत बाद तेज विस्फोट की आवाज आयी. आसपास खदान व क्रशर इकाई में कार्य कर रहे मजदूर आवाज सुन दौड़ने लगे. हम भी खदान से निकले और पास में ही स्थित घटनास्थल पर पहुंचे तो देखा की इस तरह की घटना हुई है.
वहीं भटबिगहा निवासी शुकर यादव ने बताया कि विस्फोट की आवाज आसपास के गांवों तक भी पहुंची. वे जब पत्थर खदान पर कार्य कर रहे थे तो विस्फोट की आवाज के साथ ही शीशा व अन्य सामान पत्थर खदान तक उड़ कर पहुंचा. यह शंकर यादव के खदान के साथ ही अन्य खदान में कार्य करने वाले मजदूरों ने भी बताया. विस्फोट इतना शक्तिशाली था की उसका अवशेष काफी दूर तक जाकर गिरा.