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झारखंड : बोरे में बंद हैं किट, साइंस टीचर भी नहीं, फिर भी प्रैक्टिकल परीक्षा शुरू
II सुनील कुमार झा II रांची : झारखंड के हाइस्कूलों में न साइंस टीचर है और न ही प्रैक्टिकल रूम. कहीं प्रैक्टिकल किट बोरे में, तो कहीं आलमीरे में बंद है. 637 हाइस्कूलों में प्रैक्टिकल रूम भी नहीं है. वहीं बुधवार से मैट्रिक की प्रायोगिक परीक्षा शुरू हो गयी, जो 27 फरवरी तक चलेगी. शिक्षक […]
II सुनील कुमार झा II
रांची : झारखंड के हाइस्कूलों में न साइंस टीचर है और न ही प्रैक्टिकल रूम. कहीं प्रैक्टिकल किट बोरे में, तो कहीं आलमीरे में बंद है. 637 हाइस्कूलों में प्रैक्टिकल रूम भी नहीं है. वहीं बुधवार से मैट्रिक की प्रायोगिक परीक्षा शुरू हो गयी, जो 27 फरवरी तक चलेगी. शिक्षक और प्रयोगशाला नहीं होने के कारण विद्यालयों में प्रैक्टिकल परीक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होगी.
उल्लेखनीय है कि हाइस्कूलों के लिए विज्ञान शिक्षकों के कुल 4787 पद स्वीकृत हैं. इनमें 3849 पद रिक्त हैं. 800 से अधिक अपग्रेड हाइस्कूलों में साइंस के शिक्षक नहीं है. मात्र 389 हाइस्कूल में ही साइंस के शिक्षक हैं. इसका असर बच्चों के पठन-पाठन पर हो रहा है. ऐसा नहीं है कि विद्यालयों को प्रैक्टिकल के उपकरण नहीं दिये जाते हैं. राष्ट्रीय माध्यमिक शक्षिा अभियान के तहत हाइस्कूलों को प्रायोगिक उपकरण (किट) के लिए राशि भी दी जाती है. स्कूल प्रति वर्ष सामान का क्रय तो करते हैं, पर उसका उपयोग छात्र हित में नहीं किया जाता.
राज्य के अधिकांश स्कूलों में प्रैक्टिकल के उपकरण कार्टून, बोरे या आलमीरे में बंद रहते हैं. ऐसे में विद्यार्थी प्रैक्टिकल में प्रयोग होने वाले पांच उपकरणों का नाम भी नहीं बता पाते हैं.
स्कूलों में प्रयोगशाला कक्ष नहीं
झारखंड के सभी हाइस्कूलों में प्रयोगशाला कक्ष नहीं है. अपग्रेड 1189 हाइस्कूलों में 552 स्कूलों का ही भवन बना है. 637 हाइस्कूल अब भी मध्य विद्यालयों के भवन में ही संचालित हो रहे हैं. इन स्कूलों में प्रैक्टिकल रूम की व्यवस्था नहीं है. जहां प्रयोगशाला है, उसमें भी अधिसंख्य स्कूलों में सुचारू रूप से संचालित नहीं है. इसके अलावा प्रयोगशाला में पानी व गैस सप्लाई की भी व्यवस्था नहीं है. वहीं आवश्यक उपकरण मीटर ब्रिज, ब्यूरेट, पीपेट, स्टैचुला, पोटेंसियो मीटर, यंग्स मॉड्यूलस अॉपरेट्स, ऑप्टिकल बेंच, इलीमिनेटर, लॉजिक गेट, रसिस्टेंस बॉक्स, रिहास्टेट, मानव कंकाल तंत्र, पौधों के उत्तक, प्रोटेसियो मीटर की भी कमी होती है.
कौन कराये प्रायोगिक कक्षा
हाइस्कूलों में प्रयोगशाला सहायक का पद नहीं है. विद्यार्थी प्रायोगिक कक्षा साइंस शिक्षक की देखरेख में करते हैं. ऐसे में जिन विद्यालयों में साइंस शिक्षक नहीं है, वहां प्रयोगशाला होने पर भी कक्षा का संचालन नहीं हो पाता है.
प्रैक्टिकल में पास होना अनिवार्य
मैट्रिक में गणित व साइंस में प्रायोगिक परीक्षा में पास होना अनिवार्य है. दोनों विषय में 20-20 अंकों की प्रायोगिक परीक्षा होती है. उल्लेखनीय है कि विद्यालयों में भले ही प्रयोगशाला नहीं हो, 80 फीसदी विज्ञान शिक्षक के पद रिक्त हो पर प्रैक्टिकल परीक्षा में 90 फीसदी से अधिक बच्चे पास कर जाते हैं. कई बार तो परीक्षार्थी को लिखित से अधिक प्रायोगिक परीक्षा में अंक प्राप्त हो जाता है.
विद्यालयों को अब तक एक लाख से अधिक मिले
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों को प्रयोगशाला के लिए प्रति वर्ष 25 हजार रुपये दिये जाते हैं. योजना के तहत अधिकतर उच्च विद्यालयों को प्रयोगशाला उपकरण के लिए एक लाख से अधिक की राशि दी जा चुकी है. हालांकि इसका समुचित लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है.
17569 शिक्षकों की चल रही नियुक्ति प्रक्रिया
राज्य के हाइस्कूलों में 17569 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. रिजल्ट मार्च के अंत तक जारी होने की संभावना है. ऐसे में अगले शैक्षणिक सत्र से विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर हो सकती है.
राज्य में जिलावार साइंस शिक्षक के रिक्त पद
जिला गणित/भौतिकी जीववज्ञिान/रसायन
रांची 102 86
खूंटी 44 47
गुमला 84 70
सिमडेगा 46 46
लोहरदगा 38 40
प.सिंहभूम 122 125
जमशेदपुर 86 96
सरायकेला 75 83
लातेहार 64 58
दुमका 74 98
जामताड़ा 48 58
पाकुड़ 44 45
साहेबगंज 60 62
गढ़वा 90 86
पलामू 146 148
चतरा 83 77
हजारीबाग 76 92
रामगढ़ 50 70
कोडरमा 34 44
गिरिडीह 152 140
बोकारो 78 74
धनबाद 157 93
गोड्डा 80 100
देवघर 86 82
रामलखन सिंह यादव हाइस्कूल रांची आलमीरा में बंद प्रैक्टिकल किट
इस वर्ष 86 परीक्षार्थी मैट्रिक की परीक्षा देंगे. विद्यालय में मात्र चार शिक्षक हैं. गणित व भौतिकी विषय के शिक्षक नहीं है. विद्यालय में 500 से अधिक बच्चे नामांकित है. विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त कमरे नहीं है. ऐसे में प्रायोगिक कक्ष की बात करना बेमानी है. प्रभात खबर की टीम जब विद्यालय पहुंची तो बताया गया कि जगह के अभाव में प्रैक्टिकल के सामान आलमीरा में बंद है. पहले प्रायोगिक कक्षा होती थी.
राजकीय उत्क्रमित उवि मुरूपीरी बोरा में बंद साइंस किट
राजकीय उत्क्रमित उच्चविद्यालय मुरूपीरी में साइंस, गणित, अंग्रेजी विषयों के एक भी शिक्षक नहीं है. प्रयोगशाला भी नहीं है. शिक्षा विभाग द्वारा साइंस किट उपलब्ध कराया गया है, लेकिन साइंस टीचर नहीं होने के कारण किट बोरा में बंद है. साइंस टीचर नहीं होने के कारण सीआरपी देवसागर साहु कक्षा नौ के विद्यार्थियों को विज्ञान विषय पढ़ाते हैं.
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