कैरियर और राज्य में डॉक्टरों की कमी को लेकर एमसीआइ से छात्रों को पीजी कोर्स पूरा कराने का आग्रह
एमसीआइ से अभी नहीं मिला है जवाब
सुनील चौधरी
रांची : राज्य सरकार ने रिम्स में पढ़ रहे 17 पीजी मेडिकल छात्रों के मामले में एमसीआइ से पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने इससे संबंधित पत्र एमसीआइ को भेजा है. एमसीआइ को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि राज्य में डॉक्टरों की भारी कमी है.
अगर इन डॉक्टरों के मामले में एमसीअाइ ने पुनर्विचार नहीं किया, तो राज्य सरकार विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा से वंचित रह जायेगी. पत्र में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने सरकार में कार्यरत डॉक्टरों को पीजी में दाखिले की परीक्षा के बाद 10 प्रतिशत ग्रेस मार्क्स देने का प्रावधान कर रखा है. साथ ही पीजी करने के बाद इन डॉक्टरों को राज्य में ही अपनी सेवा देने की बाध्यता भी है. इन छात्रों का चयन झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा तैयार की गयी लिस्ट के आधार पर किया गया है.
हाइकोर्ट ने भी इन छात्रों के चयन से संबंधित मामलों में विचार के बाद उसे निष्पादित कर दिया है. अदालत ने भी यह पाया है कि इससे सामान्य छात्रों का मामला प्रभावित नहीं होता है. अपर मुख्य सचिव ने लिखा है कि इन छात्रों का दाखिला मई 2016 में लिया गया था. अगले छह माह में पीजी कोर्स इनका पूरा हो जायेगा.
कोर्स का तीन चौथाई हिस्सा पूरा हो चुका है. इसलिए सरकार का यह अनुरोध है कि एमसीआइ 50 प्रतिशत से कम सामान्य वर्ग के और 40 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले आरक्षित वर्ग के छात्रों की पीजी की पढ़ाई पूरी करने पर पुनर्विचार करे. अपर मुख्य सचिव ने लिखा है कि इस समय इन छात्रों को हटाने से संबंधित पीजी डिप्लोमा सीट खाली हो जायेगी. राज्य भी इन डॉक्टरों की सेवा से अगले दो वर्षों तक के लिए वंचित हो जायेगा. हालांकि अभी एमसीआइ से सरकार को कोई जवाब नहीं मिला है.
एमसीआइ ने 17 पीजी डॉक्टरों का नामांकन रद्द करने का दिया है निर्देश
एमसीआइ द्वारा रिम्स में 17 पीजी डॉक्टरों का नामांकन रद्द करने के आदेश दिया जा चुका है. एमसीआइ ने एक सप्ताह में यह कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. एमसीआइ के ज्वाइंट सेंक्रेटरी डॉ राजेंद्र बावले ने रिम्स के प्रिसिंपल को पत्र लिख कर यह आदेश दिया था. उन्होंने लिखा है कि एकेडमिक इयर 2016-17 में 17 पीजी छात्रों का नामांकन निर्धारित न्यूतम अंक प्रतिशत से कम पर हुआ है. पीजी सीटों पर नामांकन के लिए सामान्य श्रेणी के लिए 50 प्रतिशत और आरक्षित श्रेणी के लिए 40 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है. एमसीआइ का कहना है कि पीजीएमइआर रेग्युलेशन के तहत पीजी में एडमिशन के लिए निर्धारित अंक प्रतिशत लाना अनिवार्य है. हालांकि इस मामले में झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद ने विभाग को लिखित जानकारी दी है कि डॉ एस शमीम राणा को बीसी वन कैटगरी में सीट आवंटित की गयी है, जबकि एमसीआइ ने उन्हें सामान्य श्रेणी का बताया है. वहीं, डॉ विशाखा गुप्ता को पर्षद ने सीट आवंटित नहीं की है.
एमसीआइ की सूची के अनुसार इन छात्रों पर कार्रवाई का मिला है निर्देश
नाम अंक प्रतिशत
सामान्य श्रेणी
डॉ एस शमीम राणा 48.4
डॉ नसीम हैदर 47.6
डॉ वंदना भारती 47.3
डॉ वसुधा 41.3
डॉ विशाखा गुप्ता 48.17
आरक्षित श्रेणी
नाम अंक प्रतिशत
डॉ गणेश कु. मल्लिक 36.8
डॉ सुजीत लकड़ा 36.2
डॉ सुचित्रा कुमारी 33.0
डॉ सुनील राम 36.2
डॉ प्रेमानंद साह 37.8
डॉ अरुण कुमार सिंह 35.3
डॉ शाहीद अनवर 35.3
डॉ किशोर राम बेदिया 34.7
डॉ विनीता होरा 32.3
डॉ उदय सिंह 32.2
डॉ अनुपमा कुमारी 31.0