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बंगाल : सैन्य संस्थाओं के भगवाकरण का आरोप

आरएसएस समर्थित संगठन की सभा में बीएसएफ के डीजी की उपस्थिति पर प्रश्न आरएसएस समर्थित सीमांत चेतना मंच की सभा में पहुंचे थे बीएसएफ के डीजी केके शर्मा कोलकाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित सीमांत चेतना मंच की सभा में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डीजी केके शर्मा की उपस्थिति पर राजनीतिक विवाद उत्पन्न […]

आरएसएस समर्थित संगठन की सभा में बीएसएफ के डीजी की उपस्थिति पर प्रश्न
आरएसएस समर्थित सीमांत चेतना मंच की सभा में पहुंचे थे बीएसएफ के डीजी केके शर्मा
कोलकाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित सीमांत चेतना मंच की सभा में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डीजी केके शर्मा की उपस्थिति पर राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे केंद्र सरकार द्वारा सैन्य संस्थाओं के भगवाकरण करने का प्रयास करार दिया. इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार से शिकायत करेगी. तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया कि बीएसएफ के डीजी केके शर्मा इस संगठन के कार्यक्रम में क्या कर रहे हैं. वे लोग गृह मंत्रालय को इस बाबत शिकायत करेंगे.
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि कहा कि आरएसएस ने राजनीतिक शून्यता छिपाने के लिए यह कदम उठाया है. बीएसएफ के डीजी का दायित्व सीमा की रक्षा करना है. वह किसी संस्था के कार्यक्रम के वर्दी के साथ क्या कर रहे थे.यदि उन्हें राजनीति करनी है, तो वह अपना पद छोड़ कर राजनीति करें.
माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि श्री शर्मा आरएसएस समर्थित संगठन की सभा में उपस्थित होकर मर्यादा का उल्लंघन किया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस व केंद्र में भाजपा ने सरकार व दल को आपस में मिला दिया है.
प्रशासन और पार्टी की बैठक में कोई भी अंतर नहीं रहा है. बीएसएफ के डीजी आरएसएस की संस्था के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं. दूसरी ओर, राज्य की प्रशासनिक बैठक में तृणमूल पार्टी के नेता हिस्सा ले रहे हैं. केंद्र व राज्य दोनों में गणतंत्र की हत्या की जा रही है.
नयी दिल्ली/कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बचाव करने संबंधी ट्वीट को लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू पर हमला बोला तथा आरोप लगाया कि यह और भी स्पष्ट हो गया है कि सरकार को संघ रिमोट कंट्रोल से चला रहा है.
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने संवाददाताओं से कहा : सरकार का एक मंत्री आरएसएस का समर्थन और उसका बचाव कर रहा है. किरण रिजीजू राज्य मंत्री नहीं, बल्कि संघ के मंत्री हैं.
उन्होंने सेना के बारे में भागवत की टिप्पणी और कोलकाता में आरएसएस से जुड़े एक संगठन द्वारा सीमा सुरक्षा पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीमा सुरक्षाबल के महानिदेशक के कथित तौर पर शामिल होने का जिक्र किया और कहा कि यह संयोग नहीं हो सकता. ओ ब्रायन ने आरोप लगाया : प्रत्येक संवैधानिक संस्थान को हाशिए पर डाला जा रहा है. राजभवन अब शाखा बन गये हैं और कुछ राज्यपाल प्रचारक बन चुके हैं. त्रिपुरा के राज्यपाल आरएसएस की एक और ट्रोल आर्मी बन चुके हैं.
सेना पर भागवत की टिप्पणी पर विवाद होने के बाद रिजीजू ने आज ट्वीट किया : भागवत ने केवल यह कहा था कि किसी व्यक्ति के प्रशिक्षित सैनिक बनने में छह से सात महीने का समय लगता है और यदि संविधान अनुमति दे तो आरएसएस कैडर योगदान देने की क्षमता रखते हैं.
तृणमूल नेता ने कहा : रिजीजू के ट्वीट के बाद यह और भी स्पष्ट हो गया है कि इस सरकार को आरएसएस रिमोट कंट्रोल से चला रहा है.
पार्टी ने इसे ‘‘संवैधानिक संस्थानों का खत्म होना’’ करार दिया. पार्टी द्वारा इस मुद्दे पर संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में राज्यसभा और लोकसभा में नोटिस दिए जाने की संभावना है. दूसरी ओर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आज स्पष्ट किया कि भागवत ने भारतीय सेना और संघ के स्वयंसेवियों की तुलना नहीं की है और मुद्दे पर उनकी टिप्पणी को ‘‘तोड़ मरोड़कर’’ पेश किया गया है.
सीमांत चेतना मंच कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं : आरएसएस के प्रवक्ता डॉ जिष्णु बसु ने राजनीतिक दलों के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि सीमांत चेतना मंच आरएसएस का कोई संगठन नहीं है, वरन वह पृथक संगठन है और यदि बीएसएफ के डीसी किसी संस्था के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं, जो देश की सीमावर्ती इलाकों में काम कर रहा है, तो इसमें आपत्ति क्यों हो रही है. इस संस्था के माध्यम से बीएसएफ स्थायीय लोगों की समस्या को जानने की कोशिश कर रहा है और यह कोई प्रतिबंधित संगठन भी नहीं है कि जिसमें बीएसएफ के डीजी शामिल नहीं हो सकते हैं.
आरएसएस पर लगे प्रतिबंध : मन्नान
कोलकाता : कांग्रेस विधायक तथा विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने मांग की है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगाकर उसके नेताओं को गिरफ्तार किया जाये. श्री मन्नान ने कहा कि कोई गैर सरकारी संगठन अगर हथियार रखने की बात कहता है और उसके जरिए युद्ध की बात करता है तो वह संविधान के खिलाफ है.
ऐसे संगठन पर प्रतिबंध लगाकर उसके नेता-नेत्रियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उसकी संपत्ति को जब्त करना चाहिए. विश्व में ऐसा कहीं नहीं है कि सेना के अतिरिक्त और कोई गैर सरकारी संगठन हथियार के जरिए युद्ध की बात करेे. संवाददाताओं से बातचीत में श्री मन्नान ने कहा कि यदि आरएसएस ने पाकिस्तान के साथ खुद युद्ध लड़ने की बात कही है तो वह संविधान के खिलाफ है.

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