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वार्ता के जरिये चाय श्रमिकों की समस्या सुलझाये सरकार

चाय बागानों के श्रमिकों की समस्याओं की अनदेखी का ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस ने राज्य सरकार पर लगाया आरोप कोलकाता : चाय बागानों के श्रमिकों की समस्याओं के समाधान और उनके हित की अनदेखी कर रही है राज्य सरकार. यह आरोप चाय उद्योग से जुड़े ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस की ओर से लगाया […]

चाय बागानों के श्रमिकों की समस्याओं की अनदेखी का ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस ने राज्य सरकार पर लगाया आरोप

कोलकाता : चाय बागानों के श्रमिकों की समस्याओं के समाधान और उनके हित की अनदेखी कर रही है राज्य सरकार. यह आरोप चाय उद्योग से जुड़े ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस की ओर से लगाया गया है. ज्वाइंट फोरम ने राज्य सरकार से वार्ता के जरिये चाय बागानों के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी से संबंधित व अन्य समस्याओं के समाधान निकालने की मांग की है.
शुक्रवार को महानगर के श्रमिक भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान ज्वाइंट फोरम की ओर से आरोप लगाया गया कि मिनिमम वेज एडवाइजरी कमेटी से बैठक किये बगैर एकतरफा तरीके से राज्य सरकार ने कथित तौर पर एक जनवरी, 2018 से पश्चिम बंगाल में चाय बागानों के श्रमिकों के प्रतिदिन की मजदूरी 17.50 रुपये बढ़ाने की घोषणा की. यानी चाय बागानों के श्रमिकों के प्रतिदिन मजदूरी 132.50 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये कर दी गयी.
मौजूदा समय की महंगाई के हिसाब से चाय बागानों के श्रमिकों की यह मजदूरी काफी कम है. सीटू के प्रदेश महासचिव अनादि साहू ने कहा है कि ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियंस की ओर से राज्य सरकार के इस रवैये को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. आरोप के अनुसार राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन की ओर से चाय बागानों के श्रमिकों को उनकी द्वारा तय किये गये मजदूरी लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
प्रदेश इंटक के वरिष्ठ नेता रमेन पांडेय ने आरोप लगाया है कि चाय बागानों के श्रमिकों को राशन की राशि नहीं मिल पा रही है. श्रमिकों को राशन की राशि या राशन की व्यवस्था करानी होगी. उन्होंने बंद पड़े 30 चाय बागानों को जल्द खोलने की मांग भी की है.

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