बीजिंग : चीन ने मालदीव में किसी तरह के सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ चेतावनी देते हुए बुधवार को कहा कि इस तरह के किसी कदम से स्थिति और अधिक जटिल हो जायेगी. मालदीव के निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने राजनीतिक संकट के समाधान के लिए भारतीय सेना के हस्तक्षेप का कई बार आह्वान किया है.
इस समय श्रीलंका में निर्वासित नशीद ने मंगलवारको ट्वीट किया था कि भारत को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा हिरासत में लिये गये न्यायाधीशों और राजनीतिक दलों के नेताओं की रिहाई के लिए ‘सेना की सुरक्षा में एक दूत भेजना चाहिए.’ नशीद के भारत से किये गये इस आह्वान के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस तरह के कदम उठाने से बचना चाहिए ताकि इस द्वीपीय देश की मौजूदा स्थिति और अधिक जटिल न हो जाये. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मालदीव की संप्रभुता का सम्मान करते हुए एक रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए. जब उनसे पूछा गया कि यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के साथ-साथ पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया है, तो ऐसे में आंतरिक ढंग से समाधान कैसे होगा, तो जेंग ने कहा कि चीन का रुख यह है कि संबंधित पार्टियों को आंतरिक रूप से समाधान निकालना चाहिए.
उन्होंने भारत का जिक्र किये बगैर कहा, ‘हमें उम्मीद है कि मालदीव के संबंधित दल विचार-विमर्श के जरिये इस मुद्दे का समुचित ढंग से समाधान कर सकते हैं.’ उन्होंने मालदीव की विपक्षी पार्टियों के उन आरोपों का भी खंडन किया जिसमें कहा गया था कि चीन यामीन का समर्थन कर रहा है क्योंकि उन्होंने कई चीनी परियोजनाओं को मंजूरी दी है और चीन के साथ दिसंबर में बीजिंग में एक विवादास्पद मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किये हैं. जेंग ने कहा, ‘चीन मालदीव के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है. एफटीए दोनों देशों के साझा हित में है.’
उन्होंने कहा, ‘मालदीव की मौजूदा स्थिति उसका आंतरिक मामला है. चीन अन्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के सिद्धांतों का पालन करता है.’ इस बीच ग्लोबल टाइम्स में एक संपादकीय में कहा गया है कि भारत को मालदीव में हस्तक्षेप रोकना चाहिए. इसमें कहा गया है, ‘राजनीतिक संघर्ष को आतंरिक मामला माना गया है और नयी दिल्ली को मालदीव के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है.’ इसमें कहा गया है, ‘मालदीव की संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए. राजनीतिक संकट का समाधान मालदीव के लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए. हम देश में सभी पक्षों से संयम बनाये रखने और संकट का समाधान करने का आग्रह करते हैं.’