रांची/दुमका : झारखंड के संताल परगना प्रमंडल के तीन जिले जामताड़ा, देवघर और दुमका साइबर अपराध का गढ़ बन चुके हैं, जहां से देश के विभिन्न हिस्से में रहनेवाले लोगों को ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. हालांकि जांच और त्वरित कार्रवाई से ऐसे साइबर अपराधियों पर नकेल कसी जा रही है, लेकिन पुलिस के लिए पश्चिम बंगाल से आनेवाले फर्जी सिमकार्ड अब सिरदर्द बन रहे हैं. पश्चिम बंगाल व बिहार से ऐसे नंबर लाये जा रहे हैं. ये बातें पुलिस उपमहानिरीक्षक अखिलेश कुमार झा ने मंगलवार को प्रेस वार्ता कर बतायी.
श्री झा ने बैंक खातों के गलत इस्तेमाल की भी जानकारी दी. बताया कि इन क्षेत्रों में 500-600 बैंक खाते संदिग्ध पाये गये हैं, जिनके सत्यापन का कार्य चल रहा है. जांच के बाद ऐसे खाताधारियों पर भी कार्रवाई होगी. उन्होंने बताया कि बहुत से खाते ऐसे हैं, जिसका संचालन किसी दूसरे के द्वारा किया जा रहा है. कुछ मामलों में खाते के किराये में देने या फिर बरगला कर ले लिये जाने तथा उसका साइबर अपराधियों द्वारा संचालन किये जाने के मामले सामने आये हैं. जिन संदिग्ध खाताधारक द्वारा अवैध कार्य में खाता लगाया गया है, उनकी पहचान कर कार्रवाई की जा रही है. बैंक प्रबंधक एवं कर्मी से भी संदिग्ध खाताधारकों की पहचान करने का अनुरोध किया गया है.
तीन जिलों में 217 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है : संताल परगना प्रक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक अखिलेश कुमार झा ने बताया कि इस इलाके में तो फर्जी तरीके से सिमकार्ड की बिक्री पर अंकुश लगाये जाने तथा कई मामलों में कड़ी कार्रवाई होने से यहां ऐसे सिम नहीं बेचे जा रहे हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल और से ऐसे फर्जी सिमकार्ड पहुंचने की जानकारी मिल रही है और उसके जरिये अभी साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. जिसके लिए संबंधित पदाधिकारियों से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है. उन्होंने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि साइबर अपराध को लेकर कड़ी और त्वरित कार्रवाई हो रही है, जिसका परिणाम है कि पिछले चार महीने में इन तीन जिलों में 217 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है तथा साइबर अपराध के जरिये ठगी गयी राशि के अलावा उन पैसों से खरीदे गये सामान भी बरामद किये गये हैं. भारी संख्या में सिमकार्ड, मोबाइल, लैपटॉप भी बरामद हुए हैं.
ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन को-ऑपरेशन कारगर
श्री झा ने बताया कि इंटर स्टेट ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन को-ऑपरेशन से साइबर अपराध में काफी सहूलियत हुई है. झारखंड पुलिस की यह नायाब पहल है. अब विभिन्न राज्यों से संवाद स्थापित कर अनुसंधान को लेकर संपर्क किया जा रहा है. ऐसे में ठगी के मामलों में त्वरित कार्रवाई हो जा रही है. लोगों की जागरूकता का भी लाभ मिल रहा है. अब तक 250 से अधिक ऐसे ऑनलाइन रिक्वेस्ट आये हैं और अनुसंधान कर ऐसे मामलों में कार्रवाई हुई है तथा साइबर अपराध घटे हैं.