संसद में बजट पेश होते ही देश में आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. इस साल कर्इ नये टैक्सपेयर्स भी आयकर का भुगतान करेंगे. एेसे में नये टैक्सपेयर्स आैर नया उद्यम शुरू करने वालों से चूक होना लाजिमी भी है. एेसे में सीबीडीटी ने यह एेलान किया है कि वह एेसी गलतियों पर टैक्सपेयर्स को कटघरे में खड़ा नहीं करेगा.
नयी दिल्ली : अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहे हों आैर इसमें जाने-अनजाने में छोटी-मोटी चूक हो जाये, तो घबराने की जरूरत नहीं है. कर अधिकारी अब उन करदाताओं को उनके रिटर्न में छोटा मोटा अंतर पाये जाने पर डिमांड नोटिस नहीं जारी करेंगे.
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दरअसल, करदाता के रिटर्न (आईटीआर) व विभाग द्वारा बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से जुटाये गये ब्योरे में छोटे-मोटे अंतर को लेकर यह नीति इस लिए अपनायी जा रही है, ताकि छोटे व वेतनभोगी करदाताओं को राहत मिल सके. इसके जरिये विभाग करदाता की आेर से उपलब्ध करवाये एक फार्म 16 आैर कर विभाग को मिले टैक्स क्रेडिट बयान फार्म 26एएस की सूचना में मामूली अंतर के मामलों का निपटान करना चाहता है.
Salaried employees are best tax payers & deserve better treatment. In personal tax category, 1.89 cr salaried employees gave Rs 1,48,000 cr & 1.88 cr business persons gave Rs 44,000 cr. So, we put standard deduction of Rs 40,000 to all salaried persons: CBDT Chairman S Chandra pic.twitter.com/iESKc2IWCO
— ANI (@ANI) February 6, 2018
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्र ने कहा कि इस तरह के मामलों में मामूली अंतर सामने आने पर कर मांग नोटिस जारी नहीं करने का नीतिगत फैसला किया गया है. हम करदाताओं पर भरोसा करते हैं और इस कदम का उद्देश्य आयकर रिटर्न का प्रसंस्करण आसान बनाना है. आकलन वर्ष 2018-19 से यह नीति लागू होगी.
मौजूदा प्रक्रिया के तहत आयकर विभाग का बेंगलुरु स्थित केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र सीपीसी उक्त नोटिस जारी करतें हैं. हालांकि, सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्र ने यह भी कहा कि जिन मामलों में राशि का अंतर ज्यादा होगा या किसी तरह की कर चोरी का संदेह बनेगा, उनमें विस्तृत पड़ताल की जायेगी.
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