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सबों को भा रही बड़हिया के रसगुल्ले की मिठास

प्रतिदिन सैकड़ों मन रसगुल्ला का निर्माण कर भेजा जाता है जिले से बाहर लखीसराय : जिले के बड़हिया का प्रसिद्ध रसगुल्ला अब कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है. साथ ही सैकड़ों मिठाई बनाने वाले को रोजगार मिला है. जिसके कारण यहां से प्रत्येक दिन सैकड़ों मन मिठाई बाहर भेजा जाता है. लोगों की मानें […]

प्रतिदिन सैकड़ों मन रसगुल्ला का निर्माण कर भेजा जाता है जिले से बाहर

लखीसराय : जिले के बड़हिया का प्रसिद्ध रसगुल्ला अब कुटीर उद्योग का रूप ले लिया है. साथ ही सैकड़ों मिठाई बनाने वाले को रोजगार मिला है. जिसके कारण यहां से प्रत्येक दिन सैकड़ों मन मिठाई बाहर भेजा जाता है. लोगों की मानें तो बड़हिया नाम का ही मतलब है जिसका हृदय बड़ा हो.
कालांतर में इस गांव में प्रसिद्ध कुश्ती, खेती एवं दूधारू गाय पालन करना पेशा था. कुश्ती प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर तक पहलवान भाग लेकर चैपिंयन भी बने हैं. आबादी कम रहने के कारण यहां के किसान दूध, दूध की मिठाई दुकानदारों के पास सस्ते कीमत पर देते थे. जिसके कारण यहां रसगुल्ला काफी सस्ते में बेची जाती थी. जिसको लेकर बाहर के लोग दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा, दाह संस्कार, शादी विवाह, पार्टी में यहां से खाली डिब्बा में भर कर मिठाई ले जाते थे.
आधुनिक युग में अत्यधिक रसगुल्ला की मांग को देखते हुए मिठाई दुकानदार की बढ़ोत्तरी होने लगा. हालात यहां तक पहुंच गया कि दो, तीन दुकान पर एक मिठाइ दुकान खुल गया. साथ ही गोदाम लेकर उसमें दिन रात दुकानदारों द्वारा गोल गोल रसगुल्ला का निर्माण कर चीनी के चासनी में डुबा कर बाजार में सजा दी जाती है.
दुधारु पशुपालक सौरव के अनुसार बड़हिया के किसान का अभी भी टाल के 1064 हेक्टेयर भूमि में एक फसल रबी फसल का उत्पादन करना और 20 से 30 गाय पालन पेशा है. जिसके कारण आज भी दूध तीस रूपये लीटर आसानी से मिल जाता है.
रसगुल्ले की कीमत
बड़हिया में रसगुल्ला आज भी 90 से 100 रुपये प्रति किलो खुलेआम बिकता है. जिसके कारण यहां से पटना, देवघर, रांची, जमुई, नवादा, शेखपुरा, बनारस आदि जगह डिब्बा का डिब्बा ट्रेन एवं सड़क मार्ग से जाते रहता है.
किसान बोले
बड़हिया के किसान अरुण कुमार, दिलीप कुमार, बौआ सिंह, फुलैना अश्क, नवीन कुमार ने बताया कि सुधा डेयरी अभी दूध लेना बंद कर दे तो यहां दूध का बहाव नाला में होगा. क्योंकि मध्यमवर्गीय किसान चार पांच गाय 20 से 30 किलो देने वाले दुधारू गाय को अपने बथान पर पालते हैं.

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