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बिहार : मां ने गुस्से में आठ माह के बेटे को गंगा में फेंका, मौत
दानापुर की घटना. सास की तबीयत खराब होने व खाना बनाने को लेकर पति और पत्नी में हुआ था विवाद दानापुर : दानापुर थाना क्षेत्र के नासरीगंज में शुक्रवार को पति व पत्नी के बीच झगड़ा हुआ. इसके बाद गुस्से में पत्नी ने ममता का गला घोटते हुए आठ माह के अपने अबोध पुत्र धनजीव […]
दानापुर की घटना. सास की तबीयत खराब होने व खाना बनाने को लेकर पति और पत्नी में हुआ था विवाद
दानापुर : दानापुर थाना क्षेत्र के नासरीगंज में शुक्रवार को पति व पत्नी के बीच झगड़ा हुआ. इसके बाद गुस्से में पत्नी ने ममता का गला घोटते हुए आठ माह के अपने अबोध पुत्र धनजीव को गंगा नदी के नया घाट में फेंक दिया. बेटे को गंगा नदी में फेंकने के बाद वह घर लौट गयी.
घर लौटने पर जब बड़ी गोतनी ने धनजीव के बारे में पूछा, तो उसने कहा कि उसे गंगा नदी में फेंक दिया है. इसके बाद कोहराम मच गया. परिजन और मोहल्ले के लोग वहां पहुंचे और धनजीव को गंगा नदी के किनारे से निकाला. लेकिन, तब तक देर हो चुकी थी. सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने मृत धनजीव को पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल भेज दिया. वहीं, मां नीतू कमारी को गिरफ्तार कर लिया.
कोई धनजीव को नहीं पकड़ता है तो कैसे खाना बनाएं : नीतू
स्थानीय लोगों के सहयोग से धनजीव का शव गंगा नदी से बरामद किया गया है. पुलिस ने मां नीतू देवी को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ कर रही है. मृतक के पिता जितेंद्र ने अपनी पत्नी नीतू पर पुत्र का हत्या करने का मामला दर्ज कराया है.
जानकारी के अनुसार नासरीगंज निवासी जितेंद्र राय का घर में खाना बनाने व बच्चा रखने को लेकर पत्नी नीतू देवी से विवाद शुरू हुआ था. धीरे-धीरे मामला बढ़ गया और गुस्से में नीतू ने अपने अबोध पुत्र धनजीव को गंगा नदी में फेंक दिया. रोते हुए नीतू ने बताया कि पति ने सास की तबीयत खराब होने पर सेवा करने को कहा. पर कोई धनजीव को नहीं पकड़ता है, तो कैसे खाना बनाएं व और काम करें.
इसी बात को लेकर पति से झगड़ा हुआ था और गुस्से में आकर अपने बेटे को गंगा नदी में फेंक दिया. उसनेे बताया कि मुझे सात वर्ष की पुत्री स्नेहा कुमारी व तीन वर्षीय पुत्र धीरज है. पति जितेंद्र मजदूरी करता है. थानाध्यक्ष संदीप कुमार सिंह ने बताया कि मां को गिरफ्तार कर पूछताछ के बाद जेल भेज दिया गया है.
पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा शव
आंसू तक नहीं टपक रहे थे :
अस्पताल परिसर में नीतू पुत्र धनजीव को गोद में लेकर बैठी थी और आंसू तक नहीं टपक रहे थे. इसको लेकर महिलाएं नीतू को कोस रही थी कि अपने पुत्र के खातिर मां क्या-क्या दुख: सहती है.
अबोध पुत्र को गंगा नदी में फेंकते हुए जरा भी हाथ नहीं कांपा. महिलाएं कह रही थी कि बेटे को फेंकने से पहले खुद गंगा नदी में छलांग लगा लेती, तो अच्छा रहता. धनजीव की दादी व चाची ने बताया कि बेटे को गंगा नदी में फेंक कर घर चली आयी और पूछने पर बताया कि उसे गंगा नदी में फेंक दिया. पिता जितेंद्र ने कहा कि अब स्नेह और धीरज का कैसे ललन-पालन होगा.
एक मां का बच्चे को फेंकना सामान्य नहीं
एक मां के लिए अपने बच्चों को खुद के हाथों से मारना या नदी में फेंक देना कहीं से भी सामान्य नहीं है. यह दिखाता है कि महिला का मानसिक संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है.
क्योंकि, खुद को नुकसान पहुंचाने के साथ अपने बच्चों को भी मार डालती हैं. पर खुद को नुकसान न पहुंचा कर केवल बच्चे को नदी में फेंक देने की घटना पूरी तरह से महिला की मानसिक विकृति को दर्शाता है. विवाद का असर उसके मस्तिष्क में इस कदर हावी हो गया कि वह घटना को अंजाम दे बैठी. -डॉ रेणु रंजन , समाज शास्त्री
लंबे समय के विवाद से मानसिक रूप से बीमार
पति-पत्नी के बीच लड़ाई का कारण बच्चा रहा होगा. इसकी वजह कोई भी रही हो. चाहे आर्थिक हो या फिर सामाजिक.इस बात को लेकर दोनों में लंबे समय से लड़ाई हो रही होगी. ऐसे में लगातार तनाव में रहने के कारण वह मानसिक रूप से बीमार हो चुकी है. क्योंकि, तनाव में या तो लोगों में बदला लेने की प्रवृत्ति आती है या फिर बदल जाने की. दोनों ही स्थितियां सामान्य नहीं है. महिला भी मानसिक विकृति की शिकार हो चुकी थी. ऐसे में उसने बच्चे को वजह बना उसे फेंक दिया. उसके आगे वह खुद को समाप्त करना चाहती होगी, पर वह ऐसा नहीं कर पायी.
-अमृता श्रुति, मनोवैज्ञानिक
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