सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के निजीकरण या फिर उसे बेचने की चर्चा बीते कर्इ महीनों से जोरों पर है. इस मसले को लेकर संसद के विभिन्न सत्रों में विपक्षी दलों के सवालों का जवाब देना सरकार के लिए कर्इ बार भारी भी पड़ गया, मगर संसद में वित्त वर्ष 2018-19 का बजट पेश होने के ठीक दूसरे दिन यह साफ हो गया है कि सरकार अब इसे निजी हाथों बेच देने की तैयारी कर चुकी है. पढ़िये यह रिपोर्ट…
नयी दिल्ली : सरकार को उम्मीद है कि एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरी हो जायेगी. साथ ही, जून तक एयर इंडिया के लिए विजेता बोलीदाता सामने आ जायेगा. नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि कर्ज के बोझ से दबी विमानन कंपनी को ‘चार भिन्न इकाइयों’ के रूप में बिक्री के लिए पेश किया जायेगा. निजी क्षेत्र के खिलाड़ी के पास एयरलाइन की कम से कम 51 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी. कर्ज के बोझ से दबी एयर इंडिया फिलहाल करदाताओं के पैसे पर रही है.
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सिन्हा ने कहा कि एयर इंडिया के प्रस्तावित रणनीतिक विनिवेश के लिए सूचना ज्ञापन अगले कुछ सप्ताह में जारी कर दिया जायेगा. इसमें विभिन्न पहलुओं का ब्योरा होगा. इसमें बताया जायेगा कि बोली के लिए क्या उपलब्ध होगा, कौन सी संपत्तियां बेची जायेंगी और कौन सी सरकार के पास रहेंगी. सिन्हा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि खरीदार कंपनी जून के अंत तक सामने आ जायेगी. कानूनी रूप से यह सौदा इस कैलेंडर वर्ष में पूरा हो जायेगा.
उन्होंने कहा कि कानूनी रूप से सौदा पूरा होने से तात्पर्य सभी कानूनी करार, सुरक्षा मंजूरियां, संपत्तियों का स्थानांतरण, उसका मालिकाना हक पूरा होने से है. इस तरह एयर इंडिया का परिचालन कोई अन्य करेगा. एयर इंडिया के विनिवेश के लिए रुचि पत्र बजट एयरलाइन इंडिगो तथा एक विदेशी एयरलाइन ने दिया है. हालांकि, मंत्री ने विदेशी कंपनी के नाम का खुलासा नहीं किया.
संकटग्रस्त एयरलाइन के पुनरुद्धार के लिए पिछले साल इसके रणनीतिक विनिवेश का फैसला किया था और वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में मंत्री समूह का गठन किया गया था. मंत्री समूह हिस्सेदारी बिक्री के तौर तरीके तय करेगा. सिन्हा ने कहा कि हम एयर इंडिया का निजीकरण कर रहे हैं. इसका तात्पर्य है कि एयर इंडिया की 51 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को स्थानांतरित की जायेगी.
उन्होंने कहा कि हम नियंत्रण निजी क्षेत्र को स्थानांतरित कर रहे हैं. इसका मतलब है कि सरकार के पास 49 फीसदी या इससे कम का स्वामित्व रहेगा. उन्होंने कहा कि एयर इंडिया को ब्रिटिश एयरवेज, अमेरिकन एयरलाइंस, लुफ्थांसा और क्वांटास की तरह निजी क्षेत्र को स्थानांतरित किया जायेगा.
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