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अतिक्रमित जमीन पर चलता है रेलवे का वाइटीएसके

बोर्ड कहीं सेवा कहीं, यात्री को नहीं मिलती सुविधा उच्चस्तरीय जांच में हो सकती है बड़ी कार्रवाई सहरसा : भारतीय रेल द्वारा पीपीपी मोड पर तीन वर्ष के लिए सहरसा में शुरू किये गये यात्री सुविधा केंद्र की सुविधा बड़े पैमाने पर लोगों को नहीं मिलने से टिकट बुकिंग का लाभ लोगों को नहीं मिल […]

बोर्ड कहीं सेवा कहीं, यात्री को नहीं मिलती सुविधा

उच्चस्तरीय जांच में हो सकती है बड़ी कार्रवाई
सहरसा : भारतीय रेल द्वारा पीपीपी मोड पर तीन वर्ष के लिए सहरसा में शुरू किये गये यात्री सुविधा केंद्र की सुविधा बड़े पैमाने पर लोगों को नहीं मिलने से टिकट बुकिंग का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. रेलवे ने अपना खर्चा कम करने के लिए आरक्षण केंद्रों को भी निजी हाथों (पीपीपी) में देने के पीछे राजस्व का फायदा बताया था. इन आरक्षण केंद्रों को संचालित करने के लिए रेलवे द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. जबकि केंद्र का आवंटन निविदा के माध्यम से किया गया था. इस आरक्षण केंद्रों में आरक्षित टिकट व जनरल टिकट दोनों यात्रियों को मिलने की सुविधा है. इसे रेलवे ने यात्री टिकट सुविधा केंद्र (वाइटीएसके) के नाम से प्रचारित किया है.
आरक्षण केंद्र सामान्य दिन सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक खुलेंगे और रविवार को सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक खुले रहेंगे. निजी आरक्षण केंद्र में आरक्षित टिकट की सुविधा छह घंटे ज्यादा मिलेगी. लेकिन स्थानीय यात्रियों की विडंबना है कि संचालक द्वारा बोर्ड तो स्टेशन के सामने लगा दिया गया है. जबकि काउंटर चांदनी चौक के पास चलाया जा रहा है. वहां यात्री सुविधा केंद्र का कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि सुविधा केंद्र मानक का पालन नहीं कर रहा है.
जनरल टिकट पर एक रुपये : यात्री सुविधा केंद्र पर प्रति जनरल टिकट पर एक रुपये, सेकेंड सीटिंग व स्लीपर पर बीस रुपये व अन्य श्रेणी के सभी टिकट पर यात्री को चालीस रुपये कमीशन देना होगा, जबकि आइआरसीटीसी सेकेंड सीटिंग व स्लीपर पर दस रुपये और अन्य श्रेणी पर बीस रुपये ही कमीशन लेता है. यह केंद्र तीन वर्ष के लिए आवंटित किया गया है. यात्री को मिलने वाले टिकट में ज्यादा कमीशन लेने पर शिकायत करने की सुविधा है.
हुआ अतिक्रमण, देखता रहा रेलवे: रेलवे अपनी जमीन को अतिक्रमणमुक्त करने के मामले में हमेशा से चर्चित रही है. लेकिन चांदनी चौक गोशाला के समीप रेलवे की जमीन को अतिक्रमित कर यात्री सुविधा केंद्र की स्थापना कर दी गयी है. इतना ही नहीं रेल की जमीन पर ही शौचालय व ग्रिल बना लिया गया है. जबकि रेलवे वाइटीएसके के अनुबंध में जमीन मालिक का अनुमति व किरायानामा लेती है. मामला दिलचस्प है कि रेलवे की जमीन का किरायानामा किस आधार पर किस व्यक्ति द्वारा बना कर रेलवे में फर्जीवाड़ा की गयी है. स्थानीय लोगों ने बताया कि अवैध निर्माण के समय रेल विभाग के कर्मी रोकने के लिए पहुंचे थे. लेकिन मामले को रफादफा कर दिया गया था.
यात्री व रेलवे दोनों को क्षति
रेलवे द्वारा एक तय जगह पर यात्री सुविधा केंद्र नहीं खोले जाने से यात्री को तो परेशानी हो ही रही है. दूसरी तरफ रेलवे के काउंटर आवंटन से जुड़े कर्मी व अधिकारी भी संदेह के घेरे में है. ज्ञात हो कि काउंटर आवंटन के शर्त के अनुसार उक्त जगह के मालिक या किरायेदार को ही अनुबंध करने की अनुमति थी. लेकिन यात्री सुविधा केंद्र के नाम पर रेलवे की जमीन का अतिक्रमण कर अनुबंध कर दिये जाने का मामला लोगों के समझ से परे है.

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