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पद्मावत पर बैन का औचित्य

काफी अड़चनों के बाद आखिर पद्मावत रिलीज हो गयी. फिल्म निर्माण के समय से ही विवादों में थी. निर्माता संजय लीला भंसाली से बदसलूकी हुई. सेट पर तोड़-फोड़ हुई और साथ में उनके साथ मारपीट भी हुई. अब जब यह फिल्म रिलीज हो गयी है, तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसे स्थिति हो गयी है. […]

काफी अड़चनों के बाद आखिर पद्मावत रिलीज हो गयी. फिल्म निर्माण के समय से ही विवादों में थी. निर्माता संजय लीला भंसाली से बदसलूकी हुई. सेट पर तोड़-फोड़ हुई और साथ में उनके साथ मारपीट भी हुई. अब जब यह फिल्म रिलीज हो गयी है, तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसे स्थिति हो गयी है. फिल्म राजपूतों की महिमा का वर्णन करती है.

इसमें उनके उसूलों, उनके आदर्शों काे बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया है. साथ ही उनकी वीरता और बहादुरी को भी बहुत ही सुंदर तरीके से दिखाया है. पद्मावती केवल एक रानी नहीं, बल्कि एक वीरांगना थीं, जिसने अपनी आन-बान और सम्मान के लिए जान देने में उफ तक नहीं की. राजपूतों ने अपना गौरवपूर्ण इतिहास बनाया. लोगों को डराना धमकाना राजपूतों के उसूल नहीं. जो भी फिल्म देखेगा, वह यही कहेगा कि यह किसी भी तरह से किसी के मान-सम्मान को ठेस नही पहुंचाती. अब जब सच्चाई सामने है, तो फिल्म पर बैन लगाने वालों को एक बार फिर से विचार करना चाहिए.

डॉ शिल्पा जैन सुराणा, इमेल से

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