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कागज पर 24, निगम में पहुंच चुके हैं 47 ऑटो टिपर

मुजफ्फरपुर : तत्कालीन नगर आयुक्त के कार्यकाल में सफाई उपकरणों की खरीदारी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. व्यक्तिगत लाभ के लिए नियम को नजरअंदाज कर कई अहम फैसले लिये गये. अब जब मामले की जांच शुरू हुई और खरीदे गये सामान के भुगतान करने की बारी आयी, तब मामला फंस गया है. आइएएस […]

मुजफ्फरपुर : तत्कालीन नगर आयुक्त के कार्यकाल में सफाई उपकरणों की खरीदारी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. व्यक्तिगत लाभ के लिए नियम को नजरअंदाज कर कई अहम फैसले लिये गये. अब जब मामले की जांच शुरू हुई और खरीदे गये सामान के भुगतान करने की बारी आयी, तब मामला फंस गया है. आइएएस नगर आयुक्त संजय दूबे ने करीब पौन चार करोड़ रुपये की अधिक लागत से 50 ऑटो टिपर की खरीदारी के लिए निकाले गये टेंडर पर सवाल खड़ा कर भुगतान करने से इंकार कर दिया है. सशक्त स्थायी समिति ने भी सरकार से राशि उपलब्ध होने के बाद भुगतान की बात कही है.

हालांकि, नगर आयुक्त की आपत्ति व स्थायी समिति की रोक से पहले तत्कालीन नगर आयुक्त डॉ रंगनाथ चौधरी ने चेक काट 24 ऑटो टिपर का भुगतान कर चुके हैं. अब 26 ऑटो टिपर का मामला लटक गया है. इससे सप्लाई करनेवाली एजेंसी के साथ इसमें शामिल निगम कर्मचारियों में खलबली मच गयी है.

इंदिरा पार्क में कबाड़ बन रहे हैं 23 ऑटो टिपर: आश्चर्य की बात यह है कि नगर आयुक्त संजय दूबे को पता है कि निगम में अभी तक 24 ऑटो टिपर की ही आपूर्ति हुई है. ये सभी ऑटो टिपर नगर आयुक्त आवास परिसर में खड़े हैं, जिसका तत्कालीन नगर आयुक्त ने भुगतान किया है. लेकिन सच्चाई कुछ अलग है. नगर आयुक्त के आवास से सटे इंदिरा प्रियदर्शनी पार्क के अंदर 23 ऑटो टिपर काफी दिनों से खड़े हैं. अब इनकी स्थिति खराब हो रही है. लगातार एक ही जगह खड़े रहने के कारण धूल बैठने व कई ऑटो टिपर के टायर की हवा भी निकल गयी है.
डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए खरीद हुई थी टिपर: स्वच्छ भारत अभियान के तहत नगर निगम ने डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए 50 ऑटो टिपर खरीदने का फैसला लिया था. हालांकि, इसकी राशि निगम के पास उपलब्ध नहीं थी. टेंडर तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन ने निकाला था. टेंडर में गड़बड़ी करने समेत अन्य मुद्दों की शिकायत पर नगर विकास एवं आवास विभाग ने उन्हें पद से हटा दिया था. मामले की जांच चल ही रही है. इसी बीच दूसरे मद से राशि का भुगतान कर दिया गया. इस पर सवाल खड़ा हो गये हैं. मामला सरकार तक पहुंच गया है. अब आगे की कार्रवाई सरकार के दिशा-निर्देश के बाद निगम
प्रशासन करेगी.
खरीदारी के लिए निकाले गये टेंडर में गड़बड़ी पर नगर आयुक्त ने भुगतान पर लगायी रोक
करीब पौने चार करोड़ की लागत से 50 ऑटो टिपर के लिए निकाला गया था टेंडर
आनन-फानन में भुगतान के लिए काटा गया चेक, सरकार तक पहुंचा मामला

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