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स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी ‘करंज” का जलावतरण, जल्द ही नौसेना के बेड़े में होगा शामिल

मुंबई : भारतीय नौसेना ने अत्याधुनिक स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी ‘करंज’ का बुधवार को जलावतरण किया. नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की पत्नी रीना लांबा ने यहां पनडुब्बी का जलावतरण किया. पनडुब्बी ‘करंज’ का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने किया है. इस अवसर पर एडमिरल लांबा ने कहा, ‘बेड़े में शामिल किये जाने […]

मुंबई : भारतीय नौसेना ने अत्याधुनिक स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी ‘करंज’ का बुधवार को जलावतरण किया. नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा की पत्नी रीना लांबा ने यहां पनडुब्बी का जलावतरण किया. पनडुब्बी ‘करंज’ का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने किया है.

इस अवसर पर एडमिरल लांबा ने कहा, ‘बेड़े में शामिल किये जाने से पहले एक वर्ष तक यह (पनडुब्बी) कड़े परीक्षणों से गुजरेगी।’ लांबा ने पनडुब्बियों के निर्माण और इन्हें बेड़े में शामिल किये जाने में विलंब को लेकर पोत निर्माण व्यवसाय में आत्मावलोकन करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ‘मेरा भी मानना है कि इस चरण में कुछ आत्मावलोकन की आवश्यकता है. परियोजना (एमडीएल में पनडुब्बी निर्माण) 12 साल पहले शुरू हुई थी. संबद्ध जटिलताओं से प्रभावित हुए बिना हमें निर्माण की गति बढ़ाने और शेष पनडुब्बियों की समय पर प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है.’

उन्होंने कहा कि इस प्रयास में एमडीएल की भूमिका महत्वपूर्ण है. लांबा ने कहा, ‘एक केंद्रित नजरिये के साथ नौसेना की अधिष्ठापन योजना को दुरुस्त रखने के लिए यह अग्रणी यार्ड (एमडीएल) समय पर प्लैटफॉर्म उपलब्ध कराने में सक्षम होगा.’ एमडीएल कुल छह पनडुब्बियों का निर्माण करेगी. इन पनडुब्बियों का निर्माण फ्रांस की बड़ी पोत निर्माता कंपनी नेवल ग्रुप के साथ मिलकर किया जा रहा है. नेवल ग्रुप के साथ 2005 में छह पनडुब्बियों की आपूर्ति के करार पर हस्ताक्षार किये गये थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी कलवरी को नौसैनिक बेड़े में शामिल किया था. पिछले साल जनवरी में स्कोर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी ‘खंडेरी’ का जलावतरण किया गया था. लांबा ने यह भी घोषणा की कि अब से प्रमाणन कार्य एमडीएल में पूरा किया जायेगा. उन्होंने कहा, ‘करंज का जलावतरण मैनिंग और ट्रेनिंग विचार से आगे बढ़ने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, जो हमने पहली दो पनडुब्बियों के लिए अपनाया था. जहां तक प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रक्रिया की बात है तो इस तीसरी पनडुब्बी से आगे आप (एमडीएल) पूरी तरह आत्मनिर्भर होंगे.’ नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘आज हमारे सभी 34 नौसैन्य प्लैटफॉर्म और निर्माणाधीन प्लैटफॉर्म भारतीय शिपयार्ड द्वारा बनाये जा रहे हैं. यह गति औद्योगिक पारिस्थितिकी के लिए भी अच्छी है.’

लांबा ने जलावतरण के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘पड़ोसी देश की (पनडुब्बियों) तुलना में कलवरी श्रेणी नजर में न आने की क्षमता और प्रौद्योगिकी के मामले में काफी आगे है. बेड़े में शामिल करने से पहले प्रत्येक पनडुब्बी के विभिन्न परीक्षणों में कम से कम 12 महीने का समय लगता है.’ नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि स्कोर्पीन श्रेणी की पहली तीन पनडुब्बियां-कलवरी, खंडेरी और करंज हैं. शेष तीन (भविष्य में जिनका जलावतरण किया जायेगा) पनडुब्बियों का नाम वेला, वागिर और वागशीर होगा. उन्होंने कहा, ‘हम प्रत्येक नौ महीने में एमडीएल से एक पनडुब्बी का जलावतरण करेंगे.’ सेवा से निवृत्त किये गये विमानवाहक पोत विराट के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर लांबा ने कहा कि उन्हें आंध्र प्रदेश सरकार से प्रस्ताव मिला है कि वह इस पोत को समुद्री संग्रहालय में बदलना चाहती है. उन्होंने कहा, ‘वे विशाखापत्तनम के नजदीक जगह देख रहे हैं. उन्होंने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने का काम एक कंपनी को सौंपा है. हमें एक बार ठोस प्रस्ताव मिल जाये, फिर हम इसे विराट के लिए आगे बढ़ा सकते हैं.’

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