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झारखंड : पहले सदन में घेरा, फिर सत्ता पक्ष के ही 26 विधायकों ने सीएम को लिखा पत्र, कहा नियोजन नीति में संशोधन करें

रांची : स्थानीय व नियोजन नीति में संशोधन को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक गोलबंद हो गये हैं. बजट सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने इस नीति पर सवाल खड़े किये. सरकार को घेरा. इसके बाद सत्ता पक्ष के 26 विधायकों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर स्थानीय […]

रांची : स्थानीय व नियोजन नीति में संशोधन को लेकर सत्ता पक्ष के विधायक गोलबंद हो गये हैं. बजट सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने इस नीति पर सवाल खड़े किये.
सरकार को घेरा. इसके बाद सत्ता पक्ष के 26 विधायकों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर स्थानीय व नियोजन नीति में संशोधन की मांग की है. इन विधायकों ने झारखंड के लोगों के हित में नीति में संशोधन करने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया है.
गैर अधिसूचित 11 जिलों में भी अधिसूचित क्षेत्र के 13 जिलों के अनुरूप नियोजन नीति बनाने की मांग की है. कहा है कि नीति में एकरूपता होनी चाहिए. पूरे राज्य में एक तरह की नियोजन नीति बने. गैर अधिसूचित क्षेत्र में स्थानीय लोगों को ही लाभ मिले.
प्रक्रिया पर सवाल उठाया : पत्र में सत्ता पक्ष के विधायकों ने स्थानीय नीति में 1985 के कट-ऑफ डेट को लेकर कोई आपत्ति नहीं जतायी है. लेकिन स्थानीय प्रमाण पत्र बनने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया है.
इन विधायकों ने कहा है कि कट-ऑफ डेट यही रहे. लेकिन आवेदकों के स्व प्रमाणित या घोषित कर देने से प्रमाण पत्र न बने. ऐसी प्रक्रिया अपनायी जाये कि झारखंड में स्थानीय होने का दावा करनेवालों को बिहार से माइग्रेशन लाने की अनिवार्यता हो जाये. इसके साथ ही उससे बिहार में किसी तरह का कोई लाभ नहीं लिया है, इससे भी संबंधित प्रमाण पत्र देने की मांग की गयी है़
क्या है पत्र में
नियोजन नीति में एकरूपता रहे
अधिसूचित 13 जिलों की तरह ही गैर अधिसूचित 11 जिलाें में नीति हो
स्थानीय नीति में कट-ऑफ डेट 1985 ही रहे
व्यक्ति के स्व अभिप्रमाणित या घोषणा को आधार नहीं माना जाये
इन विधायकों के हस्ताक्षर
राधाकृष्ण किशोर
सत्येंद्र नाथ तिवारी.
अशोक कुमार
निर्भय कु शाहबादी
योगेश्वर महतो
ताला मरांडी
नारायण दास
अमित कुमार मंडल
जानकी प्रसाद यादव
गणेश गंझु
जय प्रकाश सिंह भोगता
नागेंद्र महतो
केदार हाजरा
जय प्रकाश वर्मा
फूलचंद मंडल
ढुल्लू महतो
लक्षमण टुडू
मेनका सरदार
साधु चरण महतो
राम कुमार पाहन
नवीन जायसवाल
गंगोत्री कुजूर
शिवशंकर उरांव
विमला प्रधान
हरेकृष्ण सिंह
आलोक कु चौरसिया
विधानसभा में क्या-क्या हुआ
बहाली के लिए 11 जिले देश भर में खोल दिये
सरकार की स्थानीय और नियोजन नीति पर सत्ता पक्ष ने ही सवाल खड़े किये. मंगलवार को सदन में सत्ता पक्ष के विधायकों ने इस नीति में संशोधन करने की मांग की. हंगामे के बीच निर्दलीय विधायक भानु प्रताप शाही ने मामला उठाया. उन्होंने कहा कि राज्य के 13 जिलों में स्थानीय लोगों की बहाली हो रही है. वहीं, 11 जिलों के लिए अलग स्थानीय नीति बनायी गयी है.
इन 11 जिलों में पूरे भारत के लिए बहाली का रास्ता खोल दिया गया है. इन जिलों में स्थानीय लोगों को हक नहीं मिल रहा है. भानु प्रताप के बयान के बाद सदन में हंगामा और तेज हो गया. सत्ता पक्ष के विधायक योगेश्वर प्रसाद बाटुल ने भी इसका समर्थन किया.
हंगामे के बीच उन्होंने कहा : 11 जिलों में स्थानीय नीति में परिवर्तन की जरूरत है. स्थानीय नीति में संशोधन की जरूरत है. राज्य की सवा तीन करोड़ जनता का सवाल है. यहां के लोगों के हित में स्थानीय नीति बने. विधानसभा की एक कमेटी बननी चाहिए.
कमेटी तीन महीने में रिपोर्ट दे. योगेश्वर प्रसाद बाटुल के बयान का सदन में सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने मेज थपथपा कर स्वागत किया.
खड़े हो गये विपक्षी विधायक : चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सत्येंद्र तिवारी ने भी कहा : सरकार ने स्थानीय और नियोजन नीति बना कर राज्यहित में फैसला लिया है. 11 जिलों में नियोजन नीति में संशोधन होना चाहिए. इसके बाद विपक्षी सदस्य खड़े हो गये. स्थानीय नीति रद्द करने की मांग करने लगे. झामुमो और कांग्रेस के विधायक वेल में घुस गये. सरकार विरोधी नारे लगाने लगे.
हो-हल्ला के बीच प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि यही बात हम लोग पहले से कह रहे हैं. हमारी बातें सुनी नहीं जा रही हैं. अब सत्ता पक्ष के लोग बोल रहे हैं, तो उनकी सुन रहे हैं. इस बीच झाविमो विधायक प्रदीप यादव, झामुमो विधायक जगन्नाथ महतो, चंपई सोरेन, अमित महतो सहित कई विपक्षी विधायक स्थानीय नीति रद्द करने की मांग करने लगे.
बोले मुख्यमंत्री रघुवर दास
सरकार राज्यहित में निर्णय लेगी
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सरकार सुझावों पर निर्णय लेती है. सत्ता पक्ष-विपक्ष के जो सुझाव हैं, उन पर सरकार राज्यहित में निर्णय लेगी. चाहे 11 जिलों में स्थानीय नीति का मामला हो या फिर जेपीएससी या एसएससी में आरक्षण का मामला, सरकार राज्य के नौजवानों के हित में निर्णायक निर्णय लेगी.
आठ दिन पहले खत्म हुआ सत्र
पहली बार बिना चर्चा के ही पास हो गया बजट
राज्य गठन के बाद पहली बार वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट (80,200 करोड़ का) बिना चर्चा के ही विधानसभा से पारित हो गया. मंगलवार को बजट सत्र का आखिरी दिन होने के कारण सारे विभागों के बजट को गिलोटिन लाकर विधानसभा से पारित कराया गया.
लगातार हो रहे हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने आठ दिन पहले विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी. इस दौरान सात दिन कार्य दिवस था. मंगलवार को द्वितीय पाली के दौरान जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, झामुमो के विधायक वेल में आ गये.
स्पीकर के आग्रह के बावजूद विधायक वेल में खड़े होकर मुख्य सचिव, डीजीपी और एडीजी को हटाने की मांग करते रहे. इसी बीच सदन के नेता (मुख्यमंत्री रघुवर दास) ने लगभग 10 मिनट तक अपनी बात रखी. इस दौरान भी विपक्ष लगातार नारेबाजी करता रहा. इसके बाद विपक्ष ने सदन का वॉक ऑउट किया. बाद में गिलोटिन लाकर कर बजट पास करने के साथ-साथ विधायी कार्य को पूरा किया गया.
पिछला बजट सत्र भी चार दिन पहले ही हुआ था स्थगित : पिछले बजट सत्र में भी लगातार हंगामा हुआ था. इसको लेकर सदन की कार्यवाही चार दिन पहले ही स्थगित कर दी गयी थी. हालांकि पिछले बजट के दौरान कई विभागों के बजट पर चर्चा हुई थी.

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