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बैंक खाता और आधार कार्ड नहीं होने पर गर्भवती को अस्पताल से निकाला, गेट पर ही हो गया बच्चा

वाराणसी : सुप्रीम कोर्ट के आदेश-निर्देश के बावजूद आधार कार्ड को लेकर सरकार से चल रही रार लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. जौनपुर जनपद के शाहगंज में एक गर्भवती महिला को राजकीय अस्पताल में सिर्फ इसलिए भरती नहीं किया गया कि उसके पास न तो बैंक खाता था और न ही आधार […]

वाराणसी : सुप्रीम कोर्ट के आदेश-निर्देश के बावजूद आधार कार्ड को लेकर सरकार से चल रही रार लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. जौनपुर जनपद के शाहगंज में एक गर्भवती महिला को राजकीय अस्पताल में सिर्फ इसलिए भरती नहीं किया गया कि उसके पास न तो बैंक खाता था और न ही आधार कार्ड. प्रसव पीड़ा से कराह रही पीड़िता को देख कर अस्पताल प्रशासन के सामने परिजन गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन गर्भवती महिला को अस्पताल के बाहर कर दिया गया. घटना सोमवार की है.

रायबरेली जिले की निवासी चंदा शाहगंज में फैजाबाद जानेवाली सड़क के किनारे अस्थायी झोपड़ी में खानाबदोश जिंदगी बसर करती है. उसके पति अजय नट ने 24 वर्षीया पत्नी चंदा को प्रसव पीड़ा होने पर सोमवार की शाम को शाहगंज स्थित राजकीय अस्पताल ले आया. यहां ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक शोभना दूबे ने गर्भवती महिला का आधार कार्ड और बैंक खाता की मांग की. परिजनों द्वारा बताये जाने पर कि उसके पास बैंक खाता और आधार कार्ड नहीं है, महिला डॉक्टर ने प्रसूता को अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया और डांट कर भगा दिया. अस्पताल के द्वार पर निकलते ही गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा के कारण गिर पड़ी. अस्पताल के द्वार पर ही उसे प्रसव हो गया. इसके बाद जच्चा-बच्चा की स्थिति देख परिजनों के चीखने-चिल्लाने पर आसपास के लोग भी जमा हो गये. लोगों में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ आक्रोश था. लोगों के हंगामा करने पर मौके पर पहुंचे महिला चिकित्सक डॉ शोभना दूबे और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एमके गुप्ता मौके ने उनके आक्रोश को देखते हुए इलाज शुरू किया. जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं.

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