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झारखंड : सरकार के करोड़ों दबाये बैठे हैं और पोस्ट डेटेड चेक लेकर खुलवा दिया राइस मिल

खाद्य आपूर्ति विभाग. हजारीबाग राइस मिल पर गत पांच वर्षों से 3.71 करोड़ बकाया राज्य भर के 51 राइस मिल सरकार को नहीं दे रहे 60 करोड़ अकेले हजारीबाग के मिलों पर 42 करोड़ रुपये की देनदारी संजय रांची : खाद्य आपूर्ति विभाग ने 3.71 करोड़ रुपये बकाया वाले हजारीबाग राइस मिल को बिना पैसा […]

खाद्य आपूर्ति विभाग. हजारीबाग राइस मिल पर गत पांच वर्षों से 3.71 करोड़ बकाया
राज्य भर के 51 राइस मिल सरकार को नहीं दे रहे 60 करोड़
अकेले हजारीबाग के मिलों पर 42 करोड़ रुपये की देनदारी
संजय
रांची : खाद्य आपूर्ति विभाग ने 3.71 करोड़ रुपये बकाया वाले हजारीबाग राइस मिल को बिना पैसा चुकाये खोलने में मदद की है. यह मिल गत पांच वर्षों (वित्तीय वर्ष 2012-13) से सरकार का पैसा दबाये है.
दरअसल 2016 से ही इस मिल को खुलवाने का प्रयास चल रहा था. इस बार मिल प्रबंधन ने तीन-तीन माह के अंतराल वाला बंधन बैंक का आठ तथा एसबीआइ का एक, यानी कुल नौ पोस्ट डेटेड चेक दिया है, जो अक्तूबर 2019 तक का है. मिल प्रबंधक ने इन नौ चेक के माध्यम से विभाग को सिर्फ 2.5 करोड़ रुपये देने का वादा कर मिल खुलवा लिया है, जबकि मूल बकाया 3.71 करोड़ है.
वहीं गत पांच वर्षों के दौरान इस रकम पर देय ब्याज पर कोई बात नहीं हो रही है. हजारीबाग राइस मिल प्रबंधन ने पोस्ट डेटेड चेक देने की बात कह कर दो बार पहले भी मिल खुलवाने का प्रयास किया था. सबसे पहले फरवरी 2016 में एक करोड़ रुपये का पोस्ट डेटेड चेक देने की बात कही गयी.
इसके बाद विभाग ने मिल खोलने का आदेश दिया था, पर बाद में मिल प्रबंधक ने एक रुपया भी जमा नहीं किया. करीब छह माह बाद मिल बंद करवा दिया गया. इसके बाद फिर से 2.5 करोड़ का पोस्ट डेटेड चेक देने तथा शेष रकम के बदले धान की मिलिंग व ट्रांसपोर्टिंग करने संबंधी शपथ पत्र देने की बात कही गयी. पर प्रभात खबर में इससे संबंधित खबर छपने के बाद यह प्रक्रिया रोक दी गयी थी.
विभाग को सिर्फ 2.5 करोड़ देने का वादा कर मिल खुलवा लिया
पांच साल में भी नहीं हो सकी पूरी वसूली
झारखंड के 51 राइस मिलों पर सरकार का करीब 60 करोड़ रुपये अब भी बकाया है. खरीफ मौसम 2012-13 में सरकार से धान लेकर इन मिलों ने बदले में चावल या पैसा नहीं दिया, पर विभाग चुप है. अकेले हजारीबाग के पांच राइस मिल प्रबंधन पर 42 करोड़ रुपये की देनदारी है. इन सब पर प्राथमिकी के बाद इन्हें बंद करा दिया गया था. इन्हीं में से एक को अब खोलने का आदेश हुआ है.
न्यायालय ने इस मामले में मिल मालिकों की ओर से दायर वाद पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पहले ही कहा था कि वह बकाया वसूली के लिए किसी तरह की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. दरअसल धान खरीद की यह राशि खाद्य आपूर्ति विभाग से संबद्ध झारखंड राज्य खाद्य निगम की है. इस रिवॉल्विंग फंड का इस्तेमाल हर वर्ष किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद में होता था.
एक करोड़ से अधिक के बकायेदार (2012-13 से)
नाम बकाया रकम
संकट मोचन राइस मिल, हजारीबाग 12.82 करोड़
आदित्य राइस मिल, हजारीबाग 10.48 करोड़
गणपति राइस मिल, हजारीबाग 7.87 करोड़
लक्की राइस मिल, हजारीबाग 7.18 करोड़
सत्यनारायण एग्रो प्रा लि नगड़ी, रांची 5.87 करोड़
बालाजी राइस मिल गम्हरिया, पू सिंहभूम 4.45 करोड़
एसआरबी फूड, देवघर 3.98 करोड़
हजारीबाग राइस मिल, हजारीबाग 3.71 करोड़
देवघर मिल झौंसागढ़ी, देवघर 2.17 करोड़
रानी सती राइस मिल दुमका रोड, जामताड़ा 1.56 करोड़
गणेश राइस मिल धालभूमगढ़, पू सिंहभूम 1.16 करोड़
प्रतीक एग्रो एक्सपोर्ट प्रा लि काठीटांड़, रांची 1.08 करोड़
मिलों को धान भी मिल रहा
गौरतलब है कि खाद्य आपूर्ति विभाग ने बकायेदार मिलों से काम न लेने यानी उन्हें किसानों से खरीदा धान कुटाई के लिए न देने का संकल्प जारी किया है. इधर, राज्य भर के 51 चावल मिलों पर सरकार का गत पांच वर्षों से करीब 60 करोड़ रुपये बकाया है. पर राज्य भर के करीब 20 मिलों को विभाग कुटाई के लिए धान देता रहा है. यह कैसे हो रहा है, इस पर कोई कुछ बोलना नहीं चाहता.

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