14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नारी ”जौहर” को सम्मान!

हमारे ग्रंथों में नृत्य की चर्चा आमतौर से नटराज या अप्सराओं के लिए होती है. मगर कला तो कला है, किसी भी रूप में अभिव्यक्त होने की क्षमता रखती है. देश की नामचीन नृत्यांगनाओं ने आराध्य देवियों को अपनी नृत्य-कला का माध्यम बनाया है. हमने भी इन कलाकारों को खूब सराहा और सिर आंखों पर […]

हमारे ग्रंथों में नृत्य की चर्चा आमतौर से नटराज या अप्सराओं के लिए होती है. मगर कला तो कला है, किसी भी रूप में अभिव्यक्त होने की क्षमता रखती है. देश की नामचीन नृत्यांगनाओं ने आराध्य देवियों को अपनी नृत्य-कला का माध्यम बनाया है. हमने भी इन कलाकारों को खूब सराहा और सिर आंखों पर बैठाया है. आश्चर्य होना तब स्वाभाविक है जब आडंबर के नाम पर काल्पनिक पात्रों और उनके मनोरंजन के तौर तरीकों पर पहरा डालने की पुरुष मानसिकता एकाएक जागृत हो जाती है. न जाने क्यों नारी खुशी का इजहार पुरुष आंखों को चुभता है.

सीता, पार्वती और दुर्गा जैसी देवियों के नृत्य का सार्वजानिक मंचन हमें गौरवान्वित करते हैं, तो पद्मावती के घूमर से परहेज क्यों होता है? 14वीं सदी के जौहर और घूमर की अवधारणा आज के परिवेश में महज कला और कल्पना का संयोग ही तो है. नारी ‘जौहर’ को सम्मान अवश्य मिले, मगर कला की अभिव्यक्ति पर आंखे तरेरना कितना सही है ?

एमके मिश्रा, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें