मालती चौधरी (1904-1998)
मालती देवी चौधरी जब मात्र ढाई वर्ष की थीं, तब ही उनके पिता गुजर गये थे. मालती के परिवार मूल रूप से बिक्रमपुर, ढाका (अब बांग्लादेश में) के रहनेवाले थे, लेकिन उनके परिवार के सदस्यों ने सिमुलाताल में बसने का फैसला किया था. मालती चौधरी के नाना बिहारी लाल गुप्त आइसीएस थे, वे बड़ौदा के दीवान बन गये थे. घर में सबसे छोटी होने की वजह इन्हें बड़े ही लाड़-प्यार से पाला गया. मालती चौधरी अपने सभी भाइ और बहन के प्रिय थीं. उनकी मां स्नेहलता महिला अधिकारों के लिए लेखन किया करती थीं, उन्होंने रवींद्र नाथ टैगोर के कुछ कामों का अनुवाद किया था.