देश में आम बजट की तारीख करीब आ रही है. जाहिर सी बात है कि इसकी तैयारियां जोर-शाेर से चल रही होंगी. लेकिन यह पूरी प्रक्रिया इतनी गोपनीय होती है कि किसी को इस बात की तब तक भनक तक नहीं लगती, जब वित्त मंत्री संसद में आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं कर देते. आइए जानें कि बजट इतना गोपनीय क्यों होता है.
बजट भाषण में कही गयी बातें या बजट में पेश किये जा रहे प्रस्तावों को बेहद गोपनीय माना जाता है और उन्हें छिपाकर, संभालकर रखा जाता है. वित्त मंत्री का कार्यालय, यानी दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक की सुरक्षा सामान्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा कड़ी कर दी जाती है.
आपको यह जान कर हैरानी होगी कि सन् 2006 से भारत की जासूसी एजेंसी आईबी के एजेंट वित्त मंत्री के कार्यालय की निगरानी करते हैं. वे लोग दफ्तर के, बजट के लिए काम कर रहे लोगों के घरों और मोबाइल फोनों को टैप करते हैं.
बजट तैयार करने में लगभग एक दर्जन लोग काम करते हैं और वे लोग कहां जा रहे हैं, किससे मिल रहे हैं, क्या कर रहे हैं, हर बात पर आईबी की नजर रहती है. यहां तक कि भारत के वित्त सचिव तक की भी निगरानी की जाती है.
बजट से पहले वित्त सचिव को जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध करायी जाती है और आईबी नजर रखती है कि उनके आसपास क्या हो रहा है.
बजट निर्माण की प्रक्रिया इतनी गोपनीय रखी जाती है कि संसद में पेश होने तक इसकी किसी को भनक भी न लगे. यह गोपनीयता बरकरार रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्रालय के नाॅर्थ ब्लाॅक स्थित दफ्तर को बजट पेश होने के कुछ दिनों पहले से एक अघोषित कैदखाने में तब्दील कर दिया जाता है.
बजट की छपाई से जुड़े कुछ कर्मचारियों को यहां पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के कड़े पहरे में दिन-रात रहना होता है. बजट के दो दिन पहले नाॅर्थ ब्लाॅक में वित्त मंत्रालय का हिस्सा तो पूरी तरह सील कर दिया जाता है. यह व्यवस्था वित्त मंत्री के बजट भाषण के पूरा होने और वित्त विधेयक के रखे जाने के बाद ही समाप्त होती है.
बजट तैयार हो जाने के बाद उसे छपाई के लिए भेजा जाता है. यह बात सार्वजनिक नहीं की जाती कि बजट भाषण की छपाई कब होती है. केंद्रीय बजट की छपाई एक खास प्रेस में होती है, जो नॉर्थ ब्लॉक में मौजूद है. बेसमेंट में बनायी गयी इस खास प्रेस में आधुनिक सुविधाएं मुहैया करायी गयी हैं.
बजट के छपाई के लिए जाने से लेकर बजट भाषण के पढ़े जाने तक इसे तैयार करने वाले अधिकारी लगभग कैद में रहते हैं. उनके लिए बाहर से ही खाना जाता है और शायद तब तक वे किसी से बात भी नहीं करते.
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