पटना : राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाले के झारखंड (तत्कालीन बिहार) के चाईबासा कोषागार गबन मामला (कांड संख्या आरसी 68 ए/96) में आज दोषी करार दे दिया गया. वह अभी चारा घोटाले के देवघर कोषागार से जुड़े एक मामले में सजा पाने के बाद यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं. 37.62 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी के मामले में बहस दस जनवरी को ही पूरी हो गयी थी. अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के यहां स्थित एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने के मामले में सीबीआई के विषेष न्यायाधीष स्वर्ण शंकर प्रसाद की अदालत 24 जनवरी को फैसला सुनाने के लिए दस जनवरी को ही अपना फैसलासुरक्षित कर लिया था.
सीबीआई ने मामले की जांच के बाद कुल 76 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. इनमें मात्र 56 लोगों ने ही ट्रायल फेस किया. जबकि, 15 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है. मृतकों में चारा घोटाले का किंगपिन श्याम बिहारी सिन्हा सहित पशुपालन विभाग के चार अधिकारी, दो बजट पदाधिकारी, दो पूर्व मंत्री, एक आइएएस, एक पूर्व सांसद और पांच सप्लायर शामिल हैं. वहीं, दो अभियुक्तों ने अपने अपराध स्वीकार कर लिये हैं. तीन अभियुक्त सरकारी गवाह बन गये. बाकी 56 ने ट्रायल फेस किया.
ट्रायल फेस करनेवालों में छह राजनेता, तीन आइएएस अधिकारी, पशुपालन व ट्रेजरी के सात अधिकारी व 40 सप्लायर शामिल है. ट्रायल फेस करनेवाले नेताओं में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा, आरके राणा, विद्यासागर निषाद, जगदीश शर्मा और ध्रुव भगत हैं. जबकि, आइएएस अधिकारियों में महेश प्रसाद, फूलचंद सिंह और सजल चक्रवर्ती ने ट्रायल फेस किया. वहीं, ट्रेजरी सहित पशुपालन विभाग के सात अधिकारियों और 40 सप्लायरों ने ट्रायल फेस किया.