झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड तीन राज्य एक साथ अलग हुए. विकास के दौड़ में शामिल तीनों राज्यों की एक साथ तुलना होती है. तीनों राज्यों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो प्राकृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से झारखंड और छतीसगढ़ में कई समानताएं हैं. झारखंड और छतीसगढ़ दोनों ही नक्सलवाद के समस्या से ग्रसित रहे हैं और कुपोषण यहां की प्रमुख समस्या रही है. वहीं उत्तराखंड की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति कुछ अलग है.
बजट – 2017-18(राशि – करोड़ रुपये)
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झारखंड |
छत्तीसगढ़ |
उत्तराखंड |
शिक्षा |
10517 |
12,000 |
6,787 |
स्वास्थ्य |
3,105 |
4180 |
1871 |
कृषि |
– |
10,433 |
– |
सामाजिक सुरक्षा |
5,370 |
36,00 |
925 |
कुल बजट की राशि |
75,673 |
76,032 |
39,957 |
झारखंड
झारखंड सरकार ने वित्त वर्ष 2016-17 में पेश बजट में सबसे ज्यादा पैसे शिक्षा के लिए आवंटित किया था. शिक्षा पर 10,517 करोड़ रुपये आवंटित हुए. वहीं ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के लिए 10,473 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे. कुल बजट 75,673 करोड़ रुपये का था. स्वास्थ्य के क्षेत्र में 3,105 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे और सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण के लिए 5,370 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी.
छतीसगढ़
वित्त वर्ष 2016-17 में छतीसगढ़ सरकार की कुल बजट 76,032 करोड़ रुपये की थी. इसमें सबसे ज्यादा खर्च शिक्षा पर की गयी थी. शिक्षा के लिए 12,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी थी. छतीसगढ़ सरकार ने कृषि पर झारखंड से ज्यादा पैसे आवंटित किये थे. छतीसगढ़ सरकार की कृषि बजट 10,433 करोड़ रुपये की थी. सामाजिक सुरक्षा की बजट 3600 करोड़ रुपये थी. वहीं स्वास्थ्य को लेकर छतीसगढ़ सरकार ने कुल बजट का 5.5 प्रतिशत पैसे खर्च किये थे. छतीसगढ़ ने राज्य के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा संबंधी योजना की शुरुआत भी की थी. जो काफी हद तक सफल रही.
उत्तराखंड
उत्तराखंड इन दोनों राज्यों से भौगोलिक दृष्टि से काफी अलग है. उतराखंड की अर्थव्यवस्था मूल रूप से पर्यटन पर आधारित हैं और यह एक पहाड़ी राज्य है. लिहाजा उत्तराखंड ने पर्यटन के लिए विशेष ध्यान दिया है. उत्तराखंड ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 39,957 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था. ग्रामीण विकास विभाग में 1,454 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. स्वास्थ्य के क्षेत्र में 1871 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. वहीं शिक्षा के लिए 6,787 करोड़ रुपये खर्च हुए. समाज कल्याण विभाग में 25,98 लाख खर्च हुए. समाज कल्याण विभाग में 925 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे.
अलग होने के बाद तीनों राज्यों ने पकड़ी रफ्तार
तीनों राज्य 2000 में अलग हुए थे. औद्योगिक विकास के मामले में इन राज्यों ने अपने अविभाजित राज्यों को पीछे छोड़ दिया. छतीसगढ़ इसका अपवाद जरुर है.