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‘आधार’ की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछे ये सवाल, धौनी की डिटेल हो चुकी है लीक

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि सरकार ‘आधार’ कार्ड को सुरक्षित बनाने के लिए क्या उपाय कर रही है. टीम इंडिया के कैप्टन रहे महेंद्र सिंह धौनी की ‘आधार’ डिटेल लीक हो चुकी है. जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने सरकार से पूछा कि सरकार ऐसे कौन से उपाय कर रही […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि सरकार ‘आधार’ कार्ड को सुरक्षित बनाने के लिए क्या उपाय कर रही है. टीम इंडिया के कैप्टन रहे महेंद्र सिंह धौनी की ‘आधार’ डिटेल लीक हो चुकी है. जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने सरकार से पूछा कि सरकार ऐसे कौन से उपाय कर रही है, ताकि लोगों के ‘आधार’ की जानकारी सुरक्षित रहे और इसे बाजार में बेचा न जा सके.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए ‘आधार’ को अनिवार्य बनाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान ये सवाल किये. याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कोर्ट को बताया कि सभी योजनाओं के लिए ‘आधार’ को अनिवार्य बनाना लोगों के अधिकारों का हनन है. यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.

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श्री दीवान ने कहा कि यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने लोगों की सूचना एकत्र करने की जिम्मेवारी प्राईवेट ऑपरेटर्स को दे रखी है. ये ऑपरेटर्स पैसे की लालच में लोगों की निजी जानकारी लीक कर रहे हैंऔरउन पर UIDAI का कोई कंट्रोल नहीं है. इसलिए इसे कोई भी आसानी से खरीदताऔर इसका दुरुपयोग करता है. इससे लोगों के निजता के अधिकारों का हनन हो रहा है.

हालांकि, जानकारी लीक होने के संबंध में पिछले दिनों UIDAI ने एकबयान जारीकरकहाथाकि‘आधार’ सेजुड़े बायोमेट्रिक डाटापूरीतरहसुरक्षितहैं.यहलोगोंकीपहचानके लिए बना कार्ड है. किसी तरहकेलेन-देन केलिएइसकाइस्तेमालनहींकियाजासकता.

दीवान ने दावा किया कि आधार योजना ही असंवैधानिक है. सरकार इस संबंध में कानून बनाये बगैर आम लोगों को व्यक्तिगत जानकारी प्राईवेट ऑपरेटर्स से शेयर करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि सितंबर, 2017 में सरकार ने 49,000 ऑपरेटर्स पर प्रतिबंध लगाये थे. यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं इस सिस्टम में कुछ गड़बड़ है. दीवान ने इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाये. कहा कि एक व्यक्ति बिना आधार के कहीं घूमने नहीं जा सकता, स्कूल में उसे दाखिला नहीं मिल सकता, बैंक में वह खाता नहीं खुलवा सकता. यहां तक कि वह न बीमा पॉलिसी खरीद सकता है, न म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकता है.

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हालांकि, जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि जब लोग बीमा करवाते हैं या मोबाईल के लिए सिम कार्ड का कनेक्शन लेने जाते हैं, प्राईवेट कंपनियों को अपनी निजी तमाम जानकारी देते हैं. लेकिन, आधार योजना के तहत सरकार जानकारी देने के लिए कहती है, तो आप उसका विरोध करते हैं. आप सारी सूचना प्राईवेट कंपनियों को देने के लिए तैयार हैं, फिर सरकार आपसे जानकारी शेयर करने के लिए कहती है, तो आप उसे अपना निजता का अधिकार कैसे कह सकते हैं. ‘आधार’ की अनिवार्यता पर अब 23 जनवरी को सुनवाई होगी.

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