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एक दशक से अतिक्रमण व गंदगी की मार झेल रहा विक्टोरिया बड़ा तालाब
लोहरदगा : नगर पर्षद क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं पर अबतक कोई जनप्रतिनिधि गंभीर नजर नहीं आ रहा है. कहते है नियत अच्छी हो, तो नियति का परिणाम अच्छा होता है. नगर पर्षद का चुनाव नजदीक है. शहरवासी गर्मी के मौसम आने से पूर्व पेयजल की समस्या को लेकर चिंतित है. शहर के मध्य स्थित विक्टोरिया […]
लोहरदगा : नगर पर्षद क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं पर अबतक कोई जनप्रतिनिधि गंभीर नजर नहीं आ रहा है. कहते है नियत अच्छी हो, तो नियति का परिणाम अच्छा होता है. नगर पर्षद का चुनाव नजदीक है.
शहरवासी गर्मी के मौसम आने से पूर्व पेयजल की समस्या को लेकर चिंतित है. शहर के मध्य स्थित विक्टोरिया बड़ा तालाब विगत एक दशक से अतिक्रमण व गंदगी की मार झेल रहा है. आलम यह है कि विक्टोरिया बड़ा तालाब शहर के आधे से अधिक क्षेत्र के जलस्तर को बनाये रखने में अहम भूमिका अदा करता रहा है. इसके बावजूद नगर पर्षद प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के उपेक्षात्मक रवैया से आज वो अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहा है.
बड़ा तालाब एक बड़े भू-भाग में फैला हुआ था, जो अब तेजी से अतिक्रमण से सिमटता जा रहा है. तालाब के किनारे मिट्टी भर कर पक्के घर बनाये जा रहे है. कुछ दिन पूर्व डीसी विनोद कुमार ने बड़ा तालाब को देख वहां की स्थिती देखकर नाराजगी व्यक्त की थी. उन्होंने नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी गंगा राम ठाकुर व अंचलाधिकारी को तालाब के चारों ओर किये गये अतिक्रमण को नापी कर अविलंब हटवाने का निर्देश दिया. लेकिन उपायुक्त का आदेश सिर्फ आदेश बन कर रह गया. दुर्भाग्य है कि पिछले दो टर्म से विक्टोरिया तालाब के सुंदरीकरण व अतिक्रमण मुक्त कराने के नाम पर नगर पर्षद की सरकारें बनी है, फिर भी समस्याएं जहां की तहां है. अब फिर से नगर पर्षद का चुनाव नजदीक आ गया है.
लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ बदली बदली नजर आ रही है. चुनाव आयोग के फैसला के बाद इस बार नगर पर्षद का चुनाव दलगत होने के कारण संभावित प्रत्याशी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव जन समस्याओं से उपर धनबल से जितने की जुगत में लगे हुए है, जहां पहले प्रत्याशियों के लिए शहरवासियों की समस्याएं सर्वोपरि रहती थी.
अब वहीं संभावित प्रत्याशी जन समस्याओं से दूर सेटिंग-गेटिंग कर चुनाव जीतने की जुगत लगाने में व्यस्त हैं. आम शहरवासियों की बातों को सुनें, तो इस बार प्रधानमंत्री आवास योजना भी वर्तमान वार्ड पार्षदों, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का भविष्य तय करने में अपनी अहम भूमिका अदा करेगी. शहर के विकास के नाम पर नाली, गली, सड़क, शौचालय बनाने के दावे में भी आम पब्लिक जनप्रतिनिधियों के आर्थिक विकास का भी इस बार चुनाव में हिसाब मांगने का मूड बनाये हैं.
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