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जो दिखता है, वो होता नहीं

अब तो सीबीआइ जज बृज गोपाल हरिकृष्ण लोया की मौत भी संदिग्ध हो गयी है. उनके पुत्र अनुज लोया का प्रेस कांफ्रेंस में, उनका भावभंगिमा देखकर, ऐसा लग रहा था जैसे पांचवीं का बच्चा बोल रहा है. ऐसा लगा जैसे वो नहीं बोल रहा था, बल्कि उसे बुलवाया जा रहा था. राजनीति में कुछ भी […]

अब तो सीबीआइ जज बृज गोपाल हरिकृष्ण लोया की मौत भी संदिग्ध हो गयी है. उनके पुत्र अनुज लोया का प्रेस कांफ्रेंस में, उनका भावभंगिमा देखकर, ऐसा लग रहा था जैसे पांचवीं का बच्चा बोल रहा है. ऐसा लगा जैसे वो नहीं बोल रहा था, बल्कि उसे बुलवाया जा रहा था. राजनीति में कुछ भी संभव है.
इस बात का इशारा सर्वोच्च न्यायालय के चार जजों के संवाददाता सम्मेलन से हो जाता है. जो दिखता है, वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं. जस्टिस लोया की मौत तो अप्राकृतिक थी, इतना तो सत्य है. सरकार को तो खुद आगे आकर इसकी जांच करवानी चाहिए थी. किसी भी पीआइएल का इंतजार नहीं करना चाहिए था.
केवल कहने से नहीं चलेगा कि कानून सबके लिए एक है. वैसा होता दिखना भी चाहिए. अनुज लोया कुछ भी कहें, मगर जस्टिस लोया की मौत के तह तक पहुंचना होगा. क्या हो गया अनुज को, जो कुछ समय पहले तक जांच की मांग कर रहे थे. उसका यह हृदय परिवर्तन भी संदिग्ध लग रहा है. अतः इसकी तो जांच होनी ही चाहिए.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से

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