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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट 10 साल से फेल, जहरीला हुआ पानी, फिर भी कागज-कागज का खेल

भागलपुर : शहर के नाले का पानी साफ कर गंगा में भेजने की योजना गंगा एक्शन प्लान वर्षों से फेल है. भागलपुर का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट साहेबगंज में है. तालाब में पांच फीट से भी अधिक कचरे जमे हैं. तालाब में लगे छह एरियेटर के मोटर जले हुए हैं. एक एरियेटर तालाब में वर्षों पहले […]

भागलपुर : शहर के नाले का पानी साफ कर गंगा में भेजने की योजना गंगा एक्शन प्लान वर्षों से फेल है. भागलपुर का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट साहेबगंज में है. तालाब में पांच फीट से भी अधिक कचरे जमे हैं. तालाब में लगे छह एरियेटर के मोटर जले हुए हैं. एक एरियेटर तालाब में वर्षों पहले गिर चुका है. प्लांट से जुड़े शहर में स्थित पांच इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन ध्वस्त हैं. कुल मिला कर नाले में बहने वाले शहर के कचरे को रोक पाने में यह प्लांट पूरी तरह फेल है. कचरा सीधे गंगा में पहुंच रहा है.
भागलपुर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को 2017 में मिली है केंद्र की मंजूरी : नमामि गंगे योजना के तहत केंद्र सरकार ने 700 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी अक्तूबर 2017 में दी थी.
इस योजना के तहत बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जाने और तीन नालियों के पानी की सफाई की योजना है. भागलपुर में 268.62 करोड़ रुपये की लागत से 65 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पीपीपी मॉडल पर बनाने का फैसला लिया गया था. लेकिन इस दिशा में धरातल पर कोई काम नहीं दिख रहा है.
प्लांट में तैनात कर्मचारी भी प्लांट की तरह झेल रहे दर्द : सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जितना दर्द झेल रहा है, उससे कम पीड़ित वहां तैनात कर्मचारी नहीं हैं. आठ कर्मचारी प्लांट में पदस्थापित हैं.
इनमें छह कर्मचारियों की शिफ्टवाइज आठ-आठ घंटे पर (प्रत्येक आठ घंटे पर दो कर्मी) ड्यूटी बंटी हुई है. दो कर्मचारियों में एक कर्मचारी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और एक कर्मचारी एसडीओ के कार्यालय में तैनात हैं. इन सबके अलावा छह कर्मचारी संप पर तैनात रखे गये हैं. इनकी परेशानी है कि इनकी नियुक्ति 1987-88 में हुई और आज तक इन्हें दैनिक वेतनभोगी के रूप में ही रखा गया है. अब तो इनके बच्चे भी विवाहित हो गये हैं. कर्मचारियों का कहना है कि आज भी 24 घंटे प्लांट में रह कर ड्यूटी करते हैं. उम्र के इस पड़ाव में वे कहां जायेंगे. घर लौटेंगे, तो क्या लेकर लौटेंगे. सिर्फ 10 हजार रुपये महीना मिलता है. न पीएफ और न इपीएफ और न ही कोई अन्य भत्ता मिलता है.
एजेंसी हर हाल में शुद्ध पानी मुहैया कराये
सांसद शैलेश कुुमार उर्फ बुलो मंडल भी पैन इंडिया एजेंसी की कार्यशैली से काफी नाराज दिखे. उन्होंने कहा कि एजेंसी हर हाल में शहरवासियों को शुद्ध जल मुहैया कराये. सही पानी और साफ पानी शहरवासियों को मिले, इसके लिए वे नगर विकास मंत्री से बात करेंगे. सांसद ने कहा कि मार्च-अप्रैल के महीने में शहरवासियों को पानी की कोई परेशानी न हो, इसके लिए एजेंसी अभी से तैयारी करे.
पार्षदों की होगी बड़ी बैठक, होगा निर्णय
पानी को लेकर पार्षद संजय कुमार सिन्हा ने कहा 26 जनवरी के पहले निगम में सभी पार्षदों के साथ बैठक की जायेगी. बैठक में एजेंसी द्वारा पिलाये जा रहे गंदे पानी काे लेकर निर्णय लिया जायेगा. पार्षद ने कहा हम सभी पार्षद मांग करेंगे कि शहर की जलापूर्ति व्यवस्था एजेंसी से हटा कर निगम को दी जाये.
पीएचइडी की रिपोर्ट का है इंतजार, लैब में 14 पैरामीटर पर हो रही है जांच
भागलपुर . वाटर वर्क्स के पानी की शुद्धता को लेकर जांच-जांच कर खेल चल रहा है. इस खेल में पानी को शुद्ध करने के लिए जांच पर जांच करायी जा रही है. पानी की शुद्धता के लिए सबसे पहले नगर निगम ने दिल्ली की एक एजेंसी से जांच करायी थी. इस जांच रिपोर्ट में वाटर वर्क्स से सप्लाई होनेवाले पानी को नहीं पीने योग्य बताया गया. लेकिन जलापूर्ति की योजना को देख रहे पैन इंडिया और बुडको ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इस पानी को पीने योग्य बताया गया और कहा कि उनकी जांच में पानी बिल्कुल ठीक पाया गया है.
एजेंसी अपने लैब में चार पैरामीटर और पीएचइडी के लैब में 14 पैरा पीटर पर हर 15 दिन में पानी की जांच कराती है. वहीं एजेंसी और बुडको के द्वारा पीएचइडी लैब में एक और जांच करायी जा रही है जिसकी रिपोर्ट बुधवार काे आ जायेगी. इस रिपोर्ट में क्या है, इसके बारे पता चलेगा. वहीं पानी की जांच को लेकर सोमवार को एक और सेंपल लेने के लिए एनसीपीएल एजेंसी का एक सैंपलर आयेगा और वहां पानी की स्थिति के बारे में जानकारी लेगा.

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