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प्रतिरोध की एक आवाज शांत हो गयी : महादेव

एकल कहानी पाठ का भी हुआ आयोजन रांची : जनवादी लेखक संघ (जलेस) की ओर से सफदर हाशमी सभागार में राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हिंदी कथा के अप्रतिम हस्ताक्षर दूधनाथ सिंह के निधन पर शोक सभा आयोजित की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता रेणु प्रकाश ने की. इस दौरान साहित्यकार महादेव टोप्पो ने कहा कि दूधनाथ सिंह […]

एकल कहानी पाठ का भी हुआ आयोजन
रांची : जनवादी लेखक संघ (जलेस) की ओर से सफदर हाशमी सभागार में राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हिंदी कथा के अप्रतिम हस्ताक्षर दूधनाथ सिंह के निधन पर शोक सभा आयोजित की गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता रेणु प्रकाश ने की. इस दौरान साहित्यकार महादेव टोप्पो ने कहा कि दूधनाथ सिंह का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है़ प्रतिरोध की एक आवाज शांत हो गयी़ उन्होंने ‘पक्षधर’ से अनसुनी आवाजों को सामने लाने का काम भी किया़
जन संस्कृति मंच के जेवियर कुजूर ने कहा कि उनका निधन सांस्कृतिक आंदोलन से जुड़े उन प्रगतिशील विचारों की क्षति है, जो देश के सांस्कृतिक आंदोलन को दिशा देता है. हजारीबाग से आये उर्दू के प्रोफेसर डॉ कैसर जमा ने कहा कि उनकी जैसी शख्सीयत के कारण ही गंगा-जमुनी तहजीब जिंदा है.
इससे पूर्व जलेस के सचिव एमजेड खान ने दूधनाथ सिंह के कृतित्व व व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि सांस्कृतिक व सामाजिक आंदोलनों को गति और आयाम देनेवाले का जाना समाज में शून्यता की स्थिति उप्तन्न करेगा. दूसरे सत्र में आफरीन अख्तर ने अपनी कहानी ‘मां और बेटी’ व ‘मोबाइल’ का पाठ किया. पहली कहानी पीढ़ियों के अंतर पर आधारित थी, वहीं दूसरी ब्लू व्हेल गेम से उत्पन्न दर्दनाक दास्तान, जिसने नौजवानों को इससे दूर रहने की नसीहत दी़
मौके पर उर्दू के विद्वान डॉ गालिब नश्तर, डॉ कैसर जमा, शारिब कौसर, डॉ नजमा नाहिद व रेणु प्रकाश ने अपने विचार रखे और कहानीकार की हौसला अफजाई की़ मौके पर पूनम तिवारी, आलिया, रमजान कुरैशी व अन्य लोग मौजूद थे़

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