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शहर को बीमार कर रहा हर माह फेंका जा रहा 14 क्विंटल मेडिकल वेस्ट

पटना : राजधानी के लोग बायोमेडिकल वेस्ट से होने वाले संक्रमण और बीमारियों की जद में हैं. मुख्य वजह है इस कचरे का पुख्ता निबटान न होना. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शहर के अस्पतालों से निकलने वाले हर माह 21 क्विंटल से अधिक मेडिकल वेस्ट में से सात क्विंटल का ही निबटान हो […]

पटना : राजधानी के लोग बायोमेडिकल वेस्ट से होने वाले संक्रमण और बीमारियों की जद में हैं. मुख्य वजह है इस कचरे का पुख्ता निबटान न होना. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार शहर के अस्पतालों से निकलने वाले हर माह 21 क्विंटल से अधिक मेडिकल वेस्ट में से सात क्विंटल का ही निबटान हो पाता है. बचा हुआ 14 क्विंटल मेडिकल वेस्ट यूं ही खपाया जा रहा है. ऐसे में नयी बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को कचरा इंसीनरेटर में ही डिस्पोज करने के आदेश दिये थे, लेकिन अस्पताल नियमों को ठेंगा दिखा रहे हैं.

60% ही रजिस्टर्ड हैं अस्पताल, 110 नहीं देते हैं कचरा : पटना में करीब 800 से अधिक प्राइवेट अस्पताल हैं. इनमें भी 60% ही आईजीआईएमएस के इंसीनरेटर से रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 110 अस्पताल इंसीनरेटर को कचरा नहीं देते हैं. कचरा खुले में जलाया जा रहा है.
यह है अपने प्रदेश की स्थिति
प्रदेश में करीब 2500 सरकारी अस्पताल हैं. साथ ही पूरे बिहार में 10 हजार से अधिक प्राइवेट अस्पताल हैं. पीएमसीएच और आईजीआईएमएस महज दो अस्पतालों में ही इंसीनरेटर की सुविधा है. पीएमसीएच में तो खुद अपने विभाग का कचरा डंप होता है. वहीं पटना, नालंदा, बक्सर, आरा, भभुआ, रोहतास जिलों के सभी सरकारी-निजी अस्पतालों, जांच केंद्रों व एक्सपायर्ड दवाओं के निस्तारण की जिम्मेदारी आईजीआईएमएस को सौंपी गयी है. मुजफ्फरपुर व भागलपुर में एक-एक इंसीनरेटर लगाया गया है. इलाज में उपयोग होने वाले कॉटन, बैंडेज और बॉडी पार्ट एक से दो दिन में नष्ट हो जाते हैं. लेकिन बॉटल, सीरिंज, निडिल आदि नष्ट नहीं होते हैं. कचरा निस्तारण की निगरानी का जिम्मा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास है.
क्या कहते हैं अधिकारी
मेडिकल नर्सिंग होम से कचरा कलेक्ट कर जलाने का जिम्मा इंसीनरेटर को होता है, लेकिन कचरे का निबटान क्यों नहीं हो रहा है इसके बारे में पता लगाया जायेगा. मामले को समझ कर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.
अस्पताल दिखा रहे कानून को ठेंगा
बायो मेडिकल वेस्टेज का प्रॉपर डिस्पोजल न कर सार्वजनिक स्थान पर फेंकना म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट, पुलिस एक्ट 69 की धारा 34, इन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 86 की धारा 15 का भी उल्लंघन है. इसके लिए दोषी पाये जाने पर आरोपित को पांच साल तक की सजा का प्रावधान है.
कचरे में बीन रहे मौत
टीबी, एड्स, हेपेटाइटिस बी-सी, टायफाइड, ई-कोलाई, स्यूडोनोमॉस, डायरिया, हैजा, स्किन डिजीज, आई इंफेक्शन आदि रोगों के जीवाणु पनप कर महामारी फैला सकते हैं. उपयोग में लायी जा चुकी इंजेक्शन, प्लास्टिक के बोतल आदि कचरे के डब्बे से बीन कर कबाड़ में बेच कर थोड़े से पैसे कमाने की चाहत में गरीब बच्चे जानलेवा बीमारी को हाथ लगा बैठते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कचरा प्रबंधन अनिवार्य है. इसके लिए चाहिए कि हर बड़े अस्पतालों व नर्सिंग होम में इंसीनरेटर की व्यवस्था हो. इंसीनरेटर होने के बाद भी अगर कचरा नहीं उठ रहा है, तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्रवाई करे.
डॉ सुनील सिंह, सदस्य शासकीय निकाय, आईजीआईएमएस
आईजीआईएमएस के इंसीनरेटर में शहर के 60 प्रतिशत अस्पताल व पैथोलॉजी जांच केंद्र ही अपने मेडिकल वेस्ट का निबटान कर रहे हैं जबकि 100 से अधिक रजिस्टर्ड अस्पताल कचरा नहीं देते हैं.
शैलेंद्र कुमार सिंह, बायोमेडिकल इंजीनियर, आईजीआईएमएस

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