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जज को बदलने की याचिका में मदन यादव ने दायर किया था शपथपत्र

रांची : चारा घोटाले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह को बदलने के लिए राजद सुप्रीमो की ओर से हाईकोर्ट में ट्रांसफर पीटीशन फाइल किया गया था. इसमें यह आरोप लगाया गया था कि न्यायाधीश शिवपाल सिंह का व्यवहार लालू के गवाहों के प्रति सही नहीं है. वह उनके गवाहों को अपमानित करते हैं. […]

रांची : चारा घोटाले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह को बदलने के लिए राजद सुप्रीमो की ओर से हाईकोर्ट में ट्रांसफर पीटीशन फाइल किया गया था. इसमें यह आरोप लगाया गया था कि न्यायाधीश शिवपाल सिंह का व्यवहार लालू के गवाहों के प्रति सही नहीं है. वह उनके गवाहों को अपमानित करते हैं. इसमें यह भी आरोप लगाया गया था कि कोर्ट द्वारा निर्धारित गवाही तिथि से पूर्व गवाही देने के उद्देश्य से दायर कागज को फाड़ दिया गया था.

लालू की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर इनके साथ इंसाफ नहीं होगा. इसलिए आरसी 64ए/96 के मामले को किसी दूसरे न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाये. लालू ने आरसी 64ए में अन्य दो याचिकाएं दायर की थी. इसमें उनके विरुद्ध दिये गये साक्ष्यों को नाकाफी बताते हुए निरस्त करने की मांग की गयी थी. जज बदलने सहित इन तीनों याचिकाओं में रांची के डोरंडा थाना क्षेत्र के न्यू साकेत नगर निवासी मदन यादव की ओर से शपथपत्र दायर किया गया था. इसमें मदन की ओर से यह कहा गया था कि वह इस याचिका के पैरवीकार हैं और वर्णित तथ्यों से पूरी तरह वाकिफ हैं.

23 दिसंबर को सरेंडर के बाद मदन और लक्ष्मण गये थे जेल : नाटकीय ढंग से मारपीट और पैसा छिनतई का मामला गढ़कर अपने भतीजे सुमित यादव से मदन यादव ने लोअर बाजार थाने में 23 दिसंबर को प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
इसमें खुद के अलावा अपने सहयोगी लक्ष्मण कुमार को भी आरोपी बनवाया. उसी दिन कोर्ट में दोनों ने सरेंडर किया और बिरसा केंद्रीय कारा, होटवार चले गये. इसी दिन चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को भी बिरसा केंद्रीय कारा भेजा गया था. इसके बाद जब मदन और लक्ष्मण के जेल जाने का मामला सामने आया तो लोअर बाजार पुलिस ने मामले की जांच की. इसमें पुलिस ने सुमित के मोबाइल लोकेशन और अन्य तीन गवाहों का बयान लिया.
इसके जरिये यह साबित कर दिया कि जो केस सुमित ने दर्ज करायी थी वह फर्जी थी.
इसके बाद इससे संबंधित रिपोर्ट कोर्ट को सुपुर्द कर सुमित के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराने को ले भादवि की धारा 182, 211 के तहत अभियोजन की मांग की. इसके बाद पुलिस ने चुप्पी साध ली. उसने यह जानने का प्रयास तक नहीं किया कि लालू और मदन यादव के बीच कनेक्शन क्या है. करती तो मदन के जेल जाने की कहानी और इसके पीछे छिपे लोगों का चेहरा जरूर बेनकाब होता. क्योंकि लालू जब 2013 में भी चारा घोटाला में जेल गये थे तब भी मदन एक मामले में बिरसा केंद्रीय कारा, होटवार गया था.

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