रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जेल में कैदियों की तरह नहीं रहना चाहते. वे चाहते हैं कि उन्हें उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलने की पूरी छूट दी जाये. उन्हें राजनीतिक बंदियों को मिलने वाली सुविधाएं दी जायें. लेकिन, सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने लालू को किसी भी तरह की रियायत देने से साफ इन्कार कर दिया. सीबीआई के विशेष जज ने कहा कि जेल मैन्युअल का पालन सबको करना पड़ता है. इसमें किसी प्रकार की छूट नहीं दी जा सकती.
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दरअसल, राजनीतिक कैदियों को आमतौर पर जेल में कुछ सुविधाएं दी जाती हैं. लेकिन, रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के प्रशासन ने लालू प्रसाद को ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी है. लालू प्रसाद यादव को जेल में एक साधारण कैदी की तरह रहना पड़ रहा है.इससेराजदसुप्रीमो बेहद नाराज हैं. उन्होंने इसकी शिकायत सीबीआई के विशेष जज से की है.
लालू को बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गयाथा.इसी दौरान उन्होंने विशेष जज शिवपाल सिंह सेशिकायतकी कि उन्हें राजनीतिक कैदियों को मिलने वाली सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों को उनसे मिलने से रोका जा रहा है.
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इस पर जज ने कहा कि आगंतुकों को लालू प्रसाद से मिलने के लिए जेल के नियमों का पालन करनाही होगा. जज ने कहा, ‘इसलिए मैंने आपके लिए खुली जेल की सिफारिश की थी.’ लालू ने इस पर तुरंत जवाब दिया, ‘अगर कार्यकर्ताओं को खुली जेल में रोका जायेगा, तो वहां नरसंहार हो सकता है. झारखंड के सभी 20 हजार पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में तैनात होना पड़ेगा.’ इस पर सिंह ने कहा कि आप चिंता न करें ऐसा कुछ नहीं होगा.
लालू यहीं नहीं रुके. उन्होंने जज से गुजारिश की कि दुमका कोषागार से निकासी के मामले में उन्हें जल्द से जल्द सजा सुनायी जाये. साथ ही कहा कि इस मामले में उन्हें ढाई साल की सजा मिले. इस पर जज ने सख्त तेवर अपना लिये और कहा,‘आप इस तरह न बोलें. इस तरह की बातें यहां नहीं होनी चाहिए.’
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ज्ञात हो कि सीबीआई के विशेष जज शिवपाल सिंह ने लालू को फर्जी बिल के आधार पर देवघर कोषागार से 89.27 लाख रुपये की निकासी से जुड़े चारा घोटाला केस में 6 जनवरी को साढ़े तीन साल की सजा सुनायी थी. लालू पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.