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बिहार : कृषि आय की आड़ में आमदनी छिपाने वालों पर शिकंजा कसना शुरू

पटना : अपनी कमाई को गलत करके दिखाने या अवैध कमाई को वैध करके दिखाने के लिए इन दिनों बड़ी संख्या में लोग इसे कृषि आय के रूप में दिखा देते हैं. टैक्स चोरी करने की जुगत पर अब आयकर विभाग की नजर सख्त हो गयी है. इन पर शिकंजा कसने के लिए बिहार में […]

पटना : अपनी कमाई को गलत करके दिखाने या अवैध कमाई को वैध करके दिखाने के लिए इन दिनों बड़ी संख्या में लोग इसे कृषि आय के रूप में दिखा देते हैं. टैक्स चोरी करने की जुगत पर अब आयकर विभाग की नजर सख्त हो गयी है. इन पर शिकंजा कसने के लिए बिहार में ऐसे 400 लोगों की पहचान की है, जिन्होंने कृषि आय के रूप में करोड़ों रुपये दिखा दिया है.
इसमें कई लोगों ने अपनी काली कमाई को भी छिपाने या सफेद करने के लिए इसे कृषि आय के रूप में प्रस्तुत कर दिया है. चिह्नित किये गये 400 लोगों में अधिकतर को नोटिस भेज दिया गया और बचे हुए लोगों को जल्द ही नोटिस भेज दिया जायेगा. विभाग ने इन लोगों से कृषि आय का वास्तविक स्रोत पूछा है. साथ ही इन्होंने जितने रुपये कृषि आय के रूप में दिखाया है, उससे संबंधित स्पष्टीकरण भी पूछा है. इन्हें अपने कृषि आय का हिसाब आयकर विभाग को विस्तार से देना होगा. जो लोग हिसाब देने में विफल होंगे, उन्हें जुर्माना से लेकर जेल तक की सजा हो सकती है.
आयकर विभाग के नियमानुसार, 50 लाख से ज्यादा की किसी तरह की आ‌वासीय या व्यावसायिक उपयोग की जमीन पर एक फीसदी टैक्स देना होता है. बशर्ते यह जमीन किसी तरह की शहरी क्षेत्र में मौजूद हो. किसी भी नगर निकाय खासकर नगर निगम क्षेत्र के आठ किमी के दायर में आने वाली सभी जमीनों पर यह नियम लागू होता है. इसमें उन जमीन को छूट मिली हुई है, जिन पर फसल लगी हुई है. परंतु यह देखने में आ रहा है कि अधिकांश ऐसी जमीनों की रजिस्ट्री इस नियम की अनदेखी करके कर दी जा रही है.
50 लाख से ज्यादा की जमीन को कृषि योग्य भूमि दिखाकर सीधे तौर पर एक फीसदी आयकर की चोरी कर ली जाती है. पिछले दिनों हुई ऐसी तमाम जमीन रजिस्ट्री पर सख्त जांच शुरू कर दी गयी है और ऐसे लोगों को भी नोटिस देने का सिलसिला शुरू होने जा रहा है.
कागज पर उपज
आयकर विभाग ने करोड़ों की आय दिखाने वाले कुछ लोगों की संपत्ति की जांच की है तो पता चला कि जिस खेत में कभी कोई फसल ही नहीं उपजी है. कागज पर उस खेत से लाखों की फसल की उपज दिखा दी है और फिर इसे कृषि आय के रूप में दिखा दिया गया है. इसी तरह व्यावसायिक जमीन को कृषि जमीन बताकर उसमें फसल की उपज को दिखाते हुए सालाना लाखों की आय दिखा दी गयी है. मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया समेत ऐसे कई शहरों में इस तरह के मामले ज्यादा देखने को मिले हैं.

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